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4 साल में कितने किसानों ने की आत्महत्या? सरकार के पास नहीं है आंकड़ा

लोकसभा में सरकार की ओर से कृषि मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि हमारे पास 2015 के बाद का डेटा नहीं है, क्योंकि नेशनल क्राइक रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) को अभी कुछ राज्यों से डेटा प्राप्त करना बाकी है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 12:49 PM IST

नरेंद्र मोदी सरकार के पास किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा नहीं है. लोकसभा में सरकार की ओर से कृषि मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि हमारे पास 2015 के बाद का डेटा नहीं है, क्योंकि नेशनल क्राइक रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) को अभी कुछ राज्यों से डेटा प्राप्त करना बाकी है. उन्होंने कहा कि एनसीआरबी के पास डेटा आने के बाद इसकी जानकरी सदन को दी जाएगी. बता दें, कांग्रेस सांसद तरुण गोगोई ने आरोप लगाया है कि किसानों के आत्महत्या के आंकड़े उपलब्ध नहीं करा कर सरकार डेटा छिपा रही है.

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गृह मंत्रालय के उन आंकड़ों के मुताबिक जो लोकसभा के पटल पर पिछले साल रखे गए, 2016 में भारत में 6,351 किसानों/ खेती करने वालों ने खुदकुशी की है. यानी हर रोज 17 किसानों ने खुदकुशी की है. यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि 2015 में यह आंकड़ा 8,007 यानी हर दिन 22 किसान आत्महत्या कर रहे थे. यानी खुदकुशी के आंकड़ों में 21 फीसदी की गिरावट है. वर्ष 2015 तक किसानों की खुदकुशी की रिपोर्ट अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो उसके वेबसाइट पर मौजूद है लेकिन 2016 से लेकर 2019 तक की कोई रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गई है.

किसानों की मौत का आंकड़ा स्पष्ट नहीं है. केंद्र सरकार के आंकड़े राज्य सरकारों के आंकड़ों से मिलते नहीं. अगर महाराष्ट्र सरकार के रिहैबिलिटेशन एंड रिलीफ डिपार्टमेंट के अनुसार अकेले महाराष्ट्र में 2015 से 2018 के चार साल में 12,004 किसानों ने खुदकुशी की. जबकि, अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार 2010 से 2014 के पांच साल में सिर्फ महाराष्ट्र में ही 8,009 किसानों ने ही अपनी जान दे दी.

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