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राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के लिए शीत सत्र में बिल लाएगी मोदी सरकार

एक सरकारी अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, "सरकार अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए समानता और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और उसने संसद के आगामी सत्र में बिल पेश करने का फैसला लिया है."

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
कौशलेन्द्र बिक्रम सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:39 PM IST

मोदी सरकार संसद के आगामी शीत कालीन सत्र में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग बनाने वाला बिल सदन में एक फिर पेश कर सकती है. इस बात का खुलासा गुरुवार को एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने किया.

अधिकारी के मुताबिक मोदी सरकार का यह कदम एनसीबीसी को एक संवैधानिक निकाय के तौर पर मंजूरी देगा. जिसके पास ओबीसी के अधिकारों और हितों की रक्षा करने के सभी अधिकार होंगे.

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एक सरकारी अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, "सरकार अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए समानता और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और उसने संसद के आगामी सत्र में बिल पेश करने का फैसला लिया है."

प्रस्तावित कानून को बीजेपी द्वारा अपने पक्ष में ओबीसी वोटों को मजबूत करने के लिए प्रमुख कदम के रूप में देखा जा रहा है.

अधिकारी ने आगे कहा, "ओबीसी की सभी श्रेणियों की लंबी मांग को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने एनसीबीसी को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के समतुल्य दर्जा देने के लिए संसद के पिछले सत्र में विधेयक पेश किया था."

प्रस्तावित संवैधानिक संशोधन विधेयक पहले लोकसभा में पेश किया गया था. उसके बाद यह बिल कुछ संशोधनों के साथ राज्यसभा भी पारित किया गया. जिस वजह से दोनों सदनों में बिल के दो अलग-अलग संस्करण पारित हुए. इसलिए, अब लोकसभा में बिल को फिर से पेश करना होगा.

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आपको बता दें कि एनसीबीसी का गठन 1993 में किया गया था लेकिन उसे सीमित शक्तियां ही दी गई थीं. एनसीबीसी केवल सरकार से ओबीसी की केंद्रीय सूची में एक समुदाय को शामिल करने या बहिष्कृत करने की सिफारिश ही कर सकता था. ओबीसी की शिकायतों को सुनने और उनके हितों की रक्षा करने की शक्ति अनुसूचित जाति के राष्ट्रीय आयोग के पास थी.

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