
मोदी के नेतृत्व में महाशक्ति बनने की भारत की कोशिश से चीन में बेचैनी साफ देखी जा सकती है. चीन के एक सरकारी अखबार ने लिखा है कि चीन-भारत संबंध जटिल बने रह सकते हैं, क्योंकि महाशक्ति बनने की भारत की आकांक्षा चीन के लिए चुनौती पैदा करेगी.
मोदी और उनकी टीम की आकांक्षा
अखबार के मुताबिक भारत की विदेश नीति मोदी और उनकी टीम की राजनीतिक आकांक्षा और आत्मविश्वास का विस्तार है जो महाशक्ति के दर्जे के लिए भारत की महत्वाकांक्षा को भी दर्शाती है. ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित लेख के अनुसार भारत प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों के साथ करीबी संबंध बनाने के प्रयास कर सकता है, ताकि वह पहले से अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके. अखबार ने लिखा है, 'मोदी प्रशासन मौजूदा कूटनीतिक रणनीति में ज्यादा
समायोजन नहीं करेगा, जिसे क्षेत्रीय दृष्टिकोण से परे और महाशक्ति का दर्जा पाने के प्रयास के तौर पर देखा जा सकता है.'
बड़ी महाशक्तियों के बीच कूटनीतिक संतुलन बनाने, लेकिन अमेरिका को शीर्ष प्राथमिकता देने, चारों तरफ सुरक्षा मजबूत करने वहीं मुख्य तौर पर ध्यान चीन और पाकिस्तान पर रखने, और अधिक साझेदार बनाने तथा जापान एवं ऑस्ट्रेलिया को प्राथमिकता देने और भारतीय उत्पादों को प्रचारित करने के तौर पर भी इन्हें देखा जा सकता है.
लेख में लिखा गया है कि चीन के नेतृत्व वाले शंघाई सहयोग संगठन ( एससीओ) जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में शामिल होकर भारत और अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रभाव बढ़ाना चाहता है. इसमें कहा गया है, 'हालांकि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा क्षेत्र में अग्रणी शक्ति बनने की प्रक्रिया में भारत के लिए यह समझना बड़ी चुनौती होगी कि पाकिस्तान, चीन और अन्य पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को बेहतर तरीके से कैसे संभाला जाए.