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नागरिकता कानून: मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति नशीद बोले- भारत के लोकतंत्र में यकीन

इंडिया टुडे से बात करते हुए मो. नशीद ने कहा कि मैं भारत के लोकतंत्र, इसकी प्रक्रियाओं और प्रावधानों में विश्वास करता हूं, जब ये पास हो रहा था तो मैं संसद में था, मैं समझता हूं कि इस प्रक्रिया से जो निकलकर आया है उस पर भारत के अधिकांश लोग सहमत हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मो. नशीद (फोटो-पीटीआई) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मो. नशीद (फोटो-पीटीआई)
गीता मोहन
  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 9:38 AM IST

  • CAA पर मालदीव ने भारत का किया समर्थन
  • भारत दौरे पर है मालदीव के स्पीकर मोहम्मद नशीद

नागरिकता कानून पर मचे हंगामे के बीच मालदीव ने कहा है कि ये भारत का आंतरिक मामला है. मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा स्पीकर मोहम्मद नशीद इस वक्त भारत दौरे पर हैं. नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment act) पर अपनी राय जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि ये भारत का आंतरिक मामला है. हम भारत के लोकतंत्र में यकीन करते हैं और नागरिकता संधोशन बिल की पूरी प्रक्रिया को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिली है और मैं उस दौरान खुद भारत की संसद में मौजूद था.

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CAA पर सरकार को समर्थन

इंडिया टुडे से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैं भारत के लोकतंत्र, इसकी प्रक्रियाओं और प्रावधानों में विश्वास करता हूं, जब ये पास हो रहा था तो मैं संसद में था, मैं समझता हूं कि इस प्रक्रिया से जो निकलकर आया है उस पर भारत के अधिकांश लोग सहमत हैं." मोहम्मद नशीद ने कहा कि वे नहीं समझते हैं कि यह विदेश नीति का मामला है, धार्मिक आधार पर जुल्म ढाना गलत है, भारत और हम विश्वास करते हैं कि जिन्हें भी सताया गया है उन्हें शरण मिलनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा, "ये भारत सेकुलर भारत की बुनियादी सोच थी, जहां अल्पसंख्यकों का सम्मान होता था, मेरे लिए भारत-पाकिस्तान और बांग्लादेश के मुद्दे पर प्रतिक्रिया देना मुश्किल है."

माले में करें SAARC सम्मेलन

पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने प्रस्ताव दिया है कि SAARC का अगला सम्मेलन मालदीव की राजधानी माले में होना चाहिए. बता दें कि सार्क का 19वां शिखर सम्मेलन 2016 में पाकिस्तान में होना था, लेकिन जम्मू-कश्मीर के उरी में आतंकी हमले के बाद भारत ने इस सम्मेलन का बहिष्कार किया था, इसके बाद ये सम्मलेन स्थगित हो गया और आजतक नहीं हो पाया है. इंडिया टुडे से बात करते हुए उन्होंने कहा, "हमें सभी सार्क देशों, भारत, बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान, श्रीलंका, अफगानिस्तान और नेपाल से बात करनी चाहिए, इसके लिए एक मैकेनिज्म विकसित किया जाना चाहिए. सम्मेलन स्थल को लेकर बात हमेशा अटक जाती है, मेरा विचार है आपलोग हमेशा मालदीव आ सकते हैं." जब उनसे पूछा गया कि क्या इस्लामाबाद की बजाय सार्क सम्मेलन माले में शिफ्ट किया जाए, इसपर उन्होंने कहा इसके लिए उनका देश तैयार है.

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हिंद महासागर में कोल्ड वार

मोहम्मद नशीद ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि हिन्द महासागर में इस वक्त कोल्ड वार जैसी स्थिति है. चीन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मालदीव में एमडीपी सरकार आने के बाद उनके देश में भारत का हित सुरक्षित है. उन्होंने कहा, "माले में सरकार बदलने के साथ ही चीन की तुलना में भारत के हित वहां सुरक्षित हैं, ऐसा न कहना बहुत कठिन है कि हिन्द महासागर में एक शीत युद्ध की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन हम दो देशों के बीच सैंडविच जैसी स्थिति में फंसना नहीं चाहते हैं, लेकिन हां हमारी नीति भारत पहले की है. "

चीन के प्रोजेक्ट रोके गए

मालदीव के स्पीकर मोहम्मद नशीद ने कहा कि मालदीव अपने देश में चीन के सारे प्रोजेक्ट रोक रहा है, और गड़बड़ियों के लिए तत्कालीन प्रशासन को जम्मेदार ठहराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मालदीव पर चीन का भारी कर्जा है और चीन को इन कर्जों पर फिर से विचार करने की जरूरत है.

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