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कश्मीर के विशेष दर्जे पर मोहन भागवत ने बताया RSS का रुख

तीन दिवसीय 'भविष्य का भारत-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' कार्यक्रम के अंतिम दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 25 विषयों से संबंधित पूछे गए 215 सवालों में से कई सवालों का जवाब दिया. इनमें समलैंगिकता, गोरक्षा, आबादी और हिंदुत्व से लेकर कश्मीर तक के मुद्दों पर उन्होंने अपनी राय रखी.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
जावेद अख़्तर
  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 7:33 AM IST

संविधान का अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करते हैं. जिसके तहत यहां के निवासियों को विशेष अधिकार प्राप्त हैं. कश्मीर को स्पेशल स्टेटस का दर्जा देने वाली इन धाराओं को खत्म करने की मांग हमेशा राजनीति के केंद्र में रही है. अनुच्छेद 35ए की समाप्ति के लिए दायर की गई याचिका पर सुनवाई अगले साल जनवरी तक टल गई है.  उससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी इस मसले पर संघ का रुख जाहिर किया है. 

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बुधवार को संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम के आखिरी दिन मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस संविधान के अनुच्छेद 370 एवं 35 ए को स्वीकार नहीं करता है. उन्होंने साफ कहा कि यह व्यवस्था नहीं होनी चाहिए.

मोहन भागवत का यह विचार भारतीय जनता पार्टी के उस संकल्प से मिलता है, जो चुनावी घोषणा पत्र में धारा 370 खत्म करने की बात कहता है. साथ ही अनुच्छेद 35ए खत्म करने की मांग करने वाली जिस याचिका पर सुनवाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है, वह भी बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है.

वहीं, दूसरी ओर हाल ही में जम्मू-कश्मीर में जब बीजेपी-पीडीपी का गठबंधन टूटा तो पीडीपी की तरफ से 35ए को बड़ी वजह बताया गया. महबूबा मुफ्ती ने बाद में ये बयान भी दिया कि उन्होंने बीजेपी और पीएम मोदी को धारा 35ए से छेड़छाड़ न करने की ताकीद की थी और इस मसले पर कोई भी दखल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बता दें कि जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं समेत सभी प्रमुख क्षेत्रीय दल 35ए के समर्थन में एकजुटता दिखा चुके हैं.

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क्या है अनुच्छेद 35ए?

अनुच्छेद 35ए, जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है. इसके तहत दिए गए अधिकार 'स्थाई निवासियों' से जुड़े हुए हैं. इसका मतलब है कि राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दें अथवा नहीं दें. अनुच्छेद 35A के मुताबिक अगर जम्मू-कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं. साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं.

साथ ही देश की आजादी के बाद बड़ी संख्या में शरणार्थी अलग-अलग राज्यों में आकर बसे थे. कश्मीर में भी ये लोग आकर रहे. लेकिन बाकी राज्यों की तरह यहां उन्हें मूल अधिकारों से वंचित रखा गया, ये भी इस अनुच्छेद के विरोध की एक बड़ी वजह बनी.

बहरहाल, जो अनुच्छेद 370 बीजेपी का चुनावी मुद्दा रहता है, उसे समाप्त करने पर मोहन भागवत ने साफ तौर पर समर्थन दिया है. वहीं, दूसरी तरफ 35ए को लेकर सरकार की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है. नेशनल कॉन्फ्रेस नेता फारूक अब्दुल्ला भी मोदी सरकार से इस मसले पर स्टैंड क्लीयर करने की बात कह चुके हैं. जबकि मोहन भागवत ने 370 और 35ए दोनों समाप्त करने का समर्थन किया है.

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