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MOTN: 43 फीसदी लोगों ने माना, प्रवासी संकट के लिए केंद्र और राज्य सरकारें जिम्मेदार

सर्वे के मुताबिक, 43 प्रतिशत ने लोगों ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारें कोरोना संंकट के दौरान प्रवासी श्रमिकों के सामूहिक पलायन के लिए जिम्मेदार थीं.

लॉकडाउन के दौरान प्रवासियों को काफी परेशानी हुई थी लॉकडाउन के दौरान प्रवासियों को काफी परेशानी हुई थी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 10:46 PM IST

  • आजतक के लिए कार्वी इनसाइट्स लिमिटेड ने किया सर्वे
  • 10% ने केंद्र पर उंगली उठाई, 14% ने राज्यों को दोषी माना

वैश्विक महामारी कोरोना का पूरी दुनिया में कहर जारी है. इस महामारी से भारत में संकट गहराता जा रहा है. देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 20 लाख के पार पहुंच चुकी है. इस संक्रमण को लेकर देश में लॉकडाउन भी घोषित किया गया, जिसके चलते प्रवासी मजदूरों को काफी परेशानी उठानी पड़ी.

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वहीं, इंडिया टुडे-कार्वी इनसाइट्स मूड ऑफ द नेशन (MOTN) सर्वे में 43 फीसदी लोगों ने प्रवासी संकट के लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को जिम्मेदार माना है. सर्वे के मुताबिक, 43 प्रतिशत ने लोगों ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें प्रवासी श्रमिकों के सामूहिक पलायन के लिए जिम्मेदार थीं.

वहीं, 14 प्रतिशत ने प्रवासी संकट के लिए केवल राज्य सरकारों को दोषी ठहराया, जबकि 10 प्रतिशत ने केंद्र पर उंगली उठाई. 13 फीसदी लोगों ने कहा कि ये प्रवासी श्रमिकों और मजदूरों के नियोक्ताओं की गलती थी, जिसके कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ा. इस बीच, 12 फीसदी ने अफवाह और गलत सूचना के कारण प्रवासियों के शिकार होने का बात कही.

194 विधानसभा क्षेत्रों में किया गया सर्वे

आजतक के लिए ये सर्वे कर्वी इनसाइट्स लिमिटेड ने किया, जिसमें 12 हजार 21 लोगों से बात की गई. इनमें से 67 फीसदी ग्रामीण जबकि शेष 33 फीसदी शहरी थे. 19 राज्यों की कुल 97 लोकसभा और 194 विधानसभा सीटों के लोग सर्वे में शामिल किए गए.

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जिन 19 राज्यों में ये सर्वे किया गया उनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. ये सर्वे 15 जुलाई से 27 जुलाई के बीच किया गया. सर्वे में 52 फीसदी पुरुष, 48 फीसदी महिलाएं शामिल थीं.

86 फीसदी हिंदुओं की राय जानी गई

अगर धर्म के नजरिए से देखा जाए तो 86 फीसदी हिंदू, 9 फीसदी मुस्लिम और 5 फीसदी अन्य धर्मों के लोगों से उनकी राय जानी गई. जिन लोगों पर सर्वे किया गया उनमें 30 फीसदी सवर्ण, 25 फीसदी एससी-एसटी और 44 फीसदी अन्य पिछड़े वर्ग के लोग शामिल थे.

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सर्वे में शामिल 57 फीसदी लोग 10 हजार रुपये महीने से कम की आमदनी वाले थे जबकि 28 फीसदी 10 से 20 हजार रुपये और 15 फीसदी 20 हजार रुपये महीने से ज्यादा कमाने वाले लोग थे. सर्वे के सैंपल में किसान, नौकरीपेशा, बेरोजगार, व्यापारी, छात्र आदि को शामिल किया गया था.

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