
मोजरबेयर बैंक धोखाधड़ी मामले में कारोबारी रतुल पुरी को दिल्ली कोर्ट से राहत नहीं मिली है. अदालत ने रतुल पुरी की न्यायिक हिरासत को 3 अक्टूबर तक बढ़ा दिया है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे और मोजरबेयर के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक रतुल पुरी बैंक फ्रॉड के आरोपों का भी सामना कर रहे हैं.
यह मामला सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को करीब 354 करोड़ रुपये की चपत लगाने से जुड़ा हुआ है. सीबीआई ने रतुल पुरी के खिलाफ मोजरबेयर इंडिया (एमबीआईएल) मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था, जिसके बाद ईडी ने उनको प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया था.
बताया जा रहा है कि मोजरबेयर ने राजीव सक्सेना की कंपनी पैसिफिक इंटरनेशनल एफजेडई से ब्लू रे डिस्क खरीदी थी. इसको जर्मनी की सिंगुलस टेक्नोलॉजीज से खरीदा गया था. इसको लागत कीमत से दोगुना में खरीदा गया था. जांच से पता चला कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी को इस सौदे से गैर कानूनी तरीके से लाङ हुआ था. इसको ओवर-इनवॉइसिंग के माध्यम से बैंक फंडों को डाइवर्ट करने से हासिल किया गया था.
बताया जा रहा है कि इस मामले में कुल 1,492 करोड़ 36 लाख रुपये का कारोबार हुआ. सूत्रों के मुताबिक साल 2012 तक रतुल पुरी मोजरबेयर के कार्यकारी निदेशक थे. वो इसके बाद भी मोजरबेयर में फैसले लेने वालों और कंपनी के रोजमर्रा के कामकाज में शामिल रहे.
इससे पहले रतुल पुरी ने अदालत से आरएमएल अस्पताल द्वारा निर्धारित कुछ दवाओं की आपूर्ति, आवाजाही के लिए अलग परिवहन व्यवस्था और जेल में बिस्तर उपलब्ध कराने की अपील की थी. इसके बाद अदालत ने जेल अधीक्षक को जेल के डॉक्टर के परामर्श से आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित दिए थे.