
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खासमखास रहे मुकुल रॉय ने शुक्रवार को बीजेपी का दामन बेशक थाम लिया लेकिन वो उत्साह नहीं दिखा जो अमूमन ऐसे मौकों पर दिखाई देता है.
कहने को दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में पूर्व तृणमूल कांग्रेस नेता मुकुल रॉय का स्वागत करने के लिए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और बीजेपी के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय भी मौजूद थे. लेकिन ना तो समर्थकों की ओर से कोई नारेबाजी की जा रही थी और ना ही गुलाब की पंखुड़ियां दिखाई दे रही थीं. ऐसा लग रहा था कि मानो रॉय को पार्टी में समायोजित करने का फैसला बुझे मन से लिया गया है.
रॉय के दामन पर कथित भ्रष्टाचार के दागों से हाथ आसानी से नहीं धोए जा सकते. रॉय सारदा चिटफंड घोटाले में CBI की जांच के रडार पर रहे हैं. ये वही घोटाला है जिसे पश्चिम बंगाल में बीजेपी की रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह उठाते रहे हैं.
हालांकि रॉय ने घोटाले में अपनी किसी भूमिका से हमेशा इनकार किया है. वहीं तृणमूल कांग्रेस से जुड़े सूत्रों को आशंका है कि कहीं रॉय CBI को ऐसे अहम सुराग ना मुहैया करा दें जिससे कि एजेंसी को TMC के अन्य नेताओं पर अभियोग लगाने में आसानी हो.
सारदा ऐसे घोटालों में से एक है जिनसे निम्न मध्य वर्ग और गरीब सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. उनके जीवन भर की कमाई इस घोटाले के भेंट चढ़ गई. इसके बाद नारदा घोटाला आया जिसमें TMC नेता स्टिंग में घूस लेते दिखे. TMC में ममता बनर्जी के बाद कभी सबसे ताकतवर नेता समझे जाने वाले रॉय के रूतबे का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि 2012 में मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में उन्हें रेलवे जैसे अहम महकमे का मंत्री बनाया गया था. अब वही रॉय पश्चिम बंगाल में बीजेपी का चेहरा होंगे. बीजेपी के पास ऐसा कोई रबर नहीं है जो रॉय की स्लेट से उस अतीत को मिटा दे कि स्टिंग में उनका भी नाम आया था और CBI ने उनके खिलाफ FIR भी दर्ज की थी. रॉय प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के दायरे में भी आए थे.
ऐसे में शुचिता और नैतिकता की तमाम दुहाई देने वाली पार्टी बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की रॉय के साथ मंच साझा करने की दुविधा को समझा जा सकता है. संक्षिप्त भाषण में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रॉय को अनुभवी नेता बताया लेकिन फिर अन्य जगह व्यस्तता का हवाला देकर इस कार्यक्रम से जल्दी विदाई भी ले ली.
इससे पहले भी रॉय को ‘11, अशोक रोड’ स्थित बीजेपी मुख्यालय के बाहर कुछ देर इंतजार करना पड़ा क्योंकि कैलाश विजयवर्गीय तब तक नहीं पहुंचे थे. रॉय ऐसा आभास नहीं देना चाहते थे कि उन्हें बीजेपी में शामिल होने के लिए इंतजार करना पड़ा.
कहानी यहीं नहीं खत्म हो जाती. बीजेपी की पश्चिम बंगाल यूनिट तो रॉय की भगवा कैंप में एंट्री को लेकर पूरी तरह विमुख दिखाई दी. चंद्र बोस को छोड़कर बंगाल बीजेपी से कोई अहम चेहरा इस मौके पर नहीं दिखाई दिया. बता दें कि चंद्र बोस ने भी हाल में ही बीजेपी के कमल को थामा है. हालांकि बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा, जो पार्टी की बंगाल यूनिट के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं, के रॉय के साथ अच्छे रिश्ते बताए जाते हैं. दरअसल, राहुल सिन्हा ने कुछ दिन पहले रॉय को अपने जन्मदिवस पर न्योता भी दिया था. लेकिन राहुल सिन्हा जैसी बात रॉय के लिए और बीजेपी नेताओं के बारे में नहीं कही जा सकती.
यहां तक कि बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने रॉय के बीजेपी में स्वागत को लेकर अपने आधिकारिक हैंडल से कोई ट्वीट भी नहीं किया. हालांकि जब घोष के सहयोगियों ने ध्यान दिलाया तो उन्होंने काफी देर बाद कैलाश विजयवर्गीय की ओर से रॉय की बीजेपी में एंट्री को लेकर किए गए ट्वीट को रीट्वीट भर कर दिया.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी का महिला चेहरा मानी जाने वालीं राज्यसभा सांसद रूपा गांगुली ने ये रिपोर्ट लिखे जाने तक रॉय को लेकर कोई ट्वीट करने की जेहमत नहीं उठाई. यही बात लॉकेट चटर्जी के लिए भी कही जा सकती है. बंगाल बीजेपी से जुड़े एक इनसाइडर ने नाम नहीं खोलने की शर्त पर बताया, ‘ये सब आने वाले दिनों में रॉय बंगाल में क्या भूमिका निभाते हैं, उस पर निर्भर करेगा. अगर वो अपने हिसाब से चीजों को चलाने की कोशिश करेंगे तो वाकई उनके लिए रास्ता आसान नहीं साबित होगा.’
रॉय का जब भी नाम लिया जाता है तो जेहन में खुद-ब-खुद फिलहाल यूपी के मंत्री और बंगाल के पूर्व पार्टी संयोजक सिद्धार्थ नाथ सिंह का नाम आ जाता है. कभी सिंह के कोलकाता के एक मैदान से दिए जुमले ने बहुत सुर्खियां बटोरी थीं और वो था- ‘भाग मुकुल भाग’. दो साल में काफी कुछ बदल चुका है. लेकिन एक बात को खारिज नहीं किया जा सकता कि बीजेपी में, केंद्र और राज्य में दोनों जगह, बहुत सारे नेताओं को मुकुल राय की एंट्री को हजम करना आसान नहीं है. क्योंकि उन्होंने बीजेपी के अब ‘मूल्यवान सदस्य’ बन चुके इन्हीं मुकुल रॉय के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को लेकर जमीन आसमान एक कर दिया था.