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यूपी में बीजेपी विरोधी गठबंधन का रियलिटी चेक, जानिए क्या होगा असर

उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में अंदरूनी कलह के बीच मुलायम सिंह यादव विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं. सपा मुखिया मुलायम ने बिहार की तर्ज पर यूपी में महागठबंधन की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है.

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उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में अंदरूनी कलह के बीच मुलायम सिंह यादव विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं. सपा मुखिया मुलायम ने बिहार की तर्ज पर यूपी में महागठबंधन की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. मुलायम ने कांग्रेस और आरएलडी से बात करने का जिम्मा शिवपाल यादव को सौंपा है. सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल बुधवार को जदयू नेता शरद यादव और महासचिव केसी त्यागी से दिल्ली में मिले भी हैं. इसके अलावा शिवपाल ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद से भी बात की. शिवपाल ने जदयू को सपा के 5 नवंबर के कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता भी दिया है.

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अभी यह है स्थ‍िति

403 सदस्यों वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी का बहुमत है और सूबे में इस पार्टी की सरकार है. इस वक्त समाजवादी पार्टी के पास 229 सीटें हैं. बीएसपी के पास 81, बीजेपी के पास 41, कांग्रेस के पास 29, आरएलडी के पास 8 सीटें हैं. निर्दलीय विधायकों की संख्या 6 जबकि पीस पार्टी के 4, कौमी एकता दल के 2, अपना दल का एक, इत्तेहादे मिल्लत काउंसिल का एक और एनसीपी का एक सदस्य विधानसभा में है.

यह होगा असर

9 फीसदी यादव और 18 फीसदी मुस्लिम वोट यूपी में मुलायम सिंह यादव की ताकत है. अगर सपा मुखिया बीजेपी विरोधी गठबंधन बनाने में कामयाब रहे तो अगले साल के शुरू में होने वाले चुनाव में अपने परिवार की फूट का फायदा बीजेपी को नहीं मिल सकता. महागठबंधन से अल्पसंख्यक मतों का वोट कम से कम बंटेगा.

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जाट नेता और चौधरी चरण सिंह के बेटे अजित सिंह चुनाव पूर्व गठबंधन के पक्ष में हैं. हालांकि उनका मानना है कि 'महागठबंधन' ज्यादा असरदार होगा. हाल में एक रैली के दौरान अजित सिंह जदयू नेता नीतीश कुमार और शरद यादव के साथ एक मंच पर भी दिखे थे. अजित सिंह अगर महागठबंधन का हिस्सा बनते हैं तो जाट वोटरों खासकर पश्च‍िमी उत्तर प्रदेश में जनाधार में मजबूती मिलेगी जहां बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में सेंध लगा दी थी.

वैसे लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद 2014 में समाजवादी पार्टी, आरजेडी, जेडीयू, जेडीएस, इनेलो और समाजवादी पार्टी को मिलकर ग्रैंड अलायंस बनाने की कोशिश हुई थी. इन पार्टियों ने मिलकर मोदी सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन भी किया था लेकिन बिहार चुनाव से पहले यह गठजोड़ टूट गया. अगर इस बार यह गठजोड़ कामयाब रहा तो आने वाले आम चुनाव के लिहाज से बीजेपी विरोधी नेताओं के लिए बड़ी जीत होगी जो पीएम बनने का सपना देख रहे हैं.

लेकिन एक पेंच भी

वैसे तो रालोद भी नीतीश कुमार की जदयू और शरद पवार की एनसीपी के साथ गठजोड़ की तैयारी में है. पार्टी का दावा है कि अभी सपा से उसकी बात नहीं हुई है. रालोद नहीं चाहता है कि कांग्रेस इस गठबंधन का हिस्सा बने. अजित सिंह कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में मंत्री रहे हैं लेकिन जाट आरक्षण के मुद्दे पर उन्होंने यूपीए से नाता तोड़ लिया था. ऐसे में उनकी हरसंभव कोशिश रहेगी कि कांग्रेस इस महागठबंधन से बाहर रहे.

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