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समाजवादी पार्टी में मचे सियासी घमासान को शांत करने की कोशिश के तहत मुलायम सिंह यादव ने भाई शिवपाल यादव और दोस्त अमर सिंह का बचाव किया तो बेटे अखिलेश यादव को जमकर खरी-खोटी सुनाई. इस क्रम में सपा मुखिया मुलायम सिंह ने बाहुबली मुख्तार अंसारी का बचाव किया. मुलायम ने कहा कि मुख्तार का परिवार ईमानदार है. उप-राष्ट्रपति उस परिवार से आए हैं.
मुख्तार का इसलिए हुआ जिक्र
पूर्वांचल में मुस्लिम वोटरों में अपनी अच्छी पकड़ रखने वाले मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय हो गया है. इस विलय के पीछे शिवपाल सिंह और अमर सिंह की भूमिका सामने आई थी. सीएम अखिलेश यादव ने कौमी एकता दल के सपा में शामिल होने का विरोध किया था. अखिलेश के विरोध के बावजूद मुलायम सिंह यादव यह विलय कराने में कामयाब रहे.
कौन हैं मुख्तार अंसारी?
मऊ सदर से बाहुबली मुख्तार अंसारी साल 1996 में मऊ सीट से बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे. मुख्तार साल 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की. 2007 में मुख्तार ने फिर से बहुजन समाज पार्टी ज्वाइन किया और 2009 का लोकसभा चुनाव वाराणसी सीट से लड़ा लेकिन वो बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी से हार गए.
साल 2010 में बसपा ने मुख्तार को उनकी आपराधिक गतिविधियों के चलते पार्टी से निकाल दिया. साल 2012 के विधानसभा चुनाव के पहले मुख्तार ने कौमी एकता दल का गठन किया. मुख्तार 2012 के विधानसभा चुनाव में मऊ सीट से विजयी रहे. कौमी एकता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्तार के बड़े भाई पूर्व सांसद अफजाल अंसारी हैं. मुख्तार अंसारी पर बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की हत्या समेत कई अन्य आपराधिक मामले दर्ज हैं.
बाहुबली मुख्तार का उपराष्ट्रपति कनेक्शन
फिलहाल जेल में बंद मुख्तार अंसारी का ताल्लुक उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से है. मुख्तार अंसारी के दादा मुख्तार अहमद अंसारी आजादी के आंदोलन के दिनों में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के अध्यक्ष रहे हैं.
देश के मौजूदा उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी का मुख्तार अंसारी के परिवार से कनेक्शन है. हामिद अंसारी का जन्म भले ही कोलकाता में हुआ लेकिन उनके परिवार की जड़ें गाजीपुर के उस परिवार से हैं जिससे मुख्तार अंसारी ताल्लुक रखते हैं. हामिद अंसारी मुख्तार अहमद अंसारी के 'ग्रैंड नेफ्यू' हैं.
यही वजह है कि मुलायम सिंह यादव ने जब अखिलेश को सियासत की सीख दी तो समझा दिया कि कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी के साथ रहना क्यों जरूरी है. मुलायम ने अखिलेश को बताया कि हम मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं और पूछा कि क्या वो अकेले पार्टी को चुनाव जिता सकते हैं?