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सरकार के 4 वर्ष पूरे होने पर 26 मई को ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करेंगे मोदी

हाइवे ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए वाहनों को गति, आगे के ट्रैफिक, दुर्घटना, डायवर्जन, जाम आदि के बारे में निर्देशित किया जा सकेगा. इसमें वीडियो एक्सीडेंट डिटेक्शन सिस्टम मदद करेगा. इन प्रणालियों की मदद से कंट्रोल रूम के जरिए एक्सप्रेस-वे पर यातायात को नियंत्रित करना संभव होगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
परमीता शर्मा/हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 04 मई 2018,
  • अपडेटेड 10:05 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार के 4 साल का कार्यकाल पूरा होने पर 26 मई को 6 लेन वाले ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे और 14 लेन के दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के पहले चरण का उद्घाटन करेंगे. दिल्ली को जाम से काफी हद तक मुक्ति दिलाने वाला बहुप्रतीक्षित ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे देश का पहला एक्सप्रेस-वे होगा जिस पर वाहन चालकों से दूरी के हिसाब से टोल वसूला जाएगा और कंट्रोल रूम के जरिए यातायात को नियंत्रित किया जाएगा. दूरी के अनुसार टोल वसूली की योजना को सरकार ने कुछ समय पहले ही मंजूरी दी है और इस एक्सप्रेस-वे के साथ इसकी शुरुआत होगी.

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हाइवे ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए वाहनों को गति, आगे के ट्रैफिक, दुर्घटना, डायवर्जन, जाम आदि के बारे में निर्देशित किया जा सकेगा. इसमें वीडियो एक्सीडेंट डिटेक्शन सिस्टम मदद करेगा. इन प्रणालियों की मदद से कंट्रोल रूम के जरिए एक्सप्रेस-वे पर यातायात को नियंत्रित करना संभव होगा. लगभग 135 किलोमीटर लंबा ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे एनएच-44 (पूर्व नाम एनएच-1) पर कुंडली (हरियाणा) से शुरू होकर गाजियाबाद और नोएडा होते हुए पलवल (हरियाणा) में एनएच-19 (पूर्व नाम एनएच-2) से मिलेगा. इसके बनने से एनएच-44 से एनएच-19 अथवा एनएच-19 से एनएच-44 जाने के इच्छुक लगभग दो लाख वाहनों को दिल्ली में प्रवेश की जरूरत नहीं पड़ेगी.

ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे से राजधानी को अनावश्यक वाहनों से निजात मिलेगी. इसके चालू होने पर कोलकाता से सीधे जालंधर, अमृतसर अथवा जम्मू जाने और वहां से लौट कर आने वाले वाहनों, खासकर ट्रकों को सबसे ज्यादा सहूलियत होगी. लगभग 11 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार देश के अब तक के सबसे आधुनिक एक्सप्रेस-वे का कार्य लगभग पूरा हो गया है. इस एक्सप्रेस-वे पर वाहनों को 120 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से फर्राटा भरने की अनुमति होगी. नोएडा से आगरा को जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेस-वे पर फिलहाल गति सीमा 100 किमी प्रति घंटा है.

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ये हैं ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे की खासियतें:-

1) 135 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेस-वे गाजियाबाद, फरीदाबाद, पलवल और ग्रेटर नोएडा के बीच सिग्नल फ्री कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा.

2) इस एक्सप्रेस-वे पर लाइटिंग की पूरी सुविधा सोलर पैनल के जरिए की जाएगी. यही नहीं इसका दृश्य भी बेहद सुंदर होगा क्योंकि इस एक्सप्रेस-वे के किनारों पर तकरीबन 2.5 लाख पेड़ लगाए जाएंगे.

3) अब तक यूपी से हरियाणा और हरियाणा से यूपी जाने वाले तकरीबन दो लाख वाहन प्रतिदिन दिल्ली से होकर सफर करते थे. इसके शुरू होने पर ये वाहन दिल्ली को बाईपास कर निकलेंगे, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी .

4) नेशनल एक्सप्रेस-वे 2 कहे जाने वाले इस मार्ग पर पेट्रोल पंप, रेस्ट एरिया, होटल, रेस्तरां, दुकानों और रिपेयर सर्विसेज की सुविधा उपलब्ध रहेगी.

5) हर 500 मीटर की दूरी पर रेनवॉटर हार्वेस्टिंग की भी व्यवस्था होगी. ड्रिप इरिगेशन की तकनीक के चलते इस पानी से ही पेड़ों की सिंचाई भी होगी.

6) स्वच्छ भारत मिशन को ध्यान में रखते हुए हर 2.5 किलोमीटर की दूरी पर टॉयलेट्स बनाए गए हैं. इस पूरे मार्ग पर 6 इंटरचेंज, 4 फ्लाईओवर, 71 अंडरपास और 6 आरओबी हैं. इसके अलावा यमुना और हिंडन पर दो बड़े पुल हैं.

भारत के पहले 14 लेन के दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे के पहले चरण का काम भी पूरा हो गया. दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे पर 14 लेन के अलावा 2.5 मीटर का साइकिल ट्रैक भी होगा. दिल्ली- मेरठ एक्सप्रेस-वे बनने पर 7566 करोड़ रुपये का बजट है.

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दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के बनने के बाद दिल्ली से मेरठ जाने में 45 मिनट का ही समय लगेगा, जबकि फिलहाल इस रूट पर अक्सर ट्रैफिक जाम होने की वजह से 2 घंटे से ज्याद समया लग जाता है.

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