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चुनावों से पहले चलो गांव की ओर, बजट में मोदी सरकार ने किसानों को दिखाए सुनहरे सपने

वित्त मंत्री अपने बजट में बजट से ज्यादा किसान शब्द का इस्तेमाल किया, उससे कुछ ही कम गांव शब्द का इस्तेमाल किया, और उतना कृषि शब्द का इस्तेमाल किया. इस बजट ने साफ कर दिया है कि सरकार की नजर कहां है और क्यों हैं.

चुनाव से पहले मोदी सरकार को अन्नदाता याद आए! चुनाव से पहले मोदी सरकार को अन्नदाता याद आए!
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 01 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 9:41 PM IST

मोदी सरकार ने अपने अंतिम पूर्ण बजट में सबसे ज्यादा ध्यान किसानों और गांवों पर दिया है. एक तरफ किसानों को कर्ज से उबारने के लिए 11 लाख करोड़ का भारी-भरकम प्रस्ताव रखा गया है तो दूसरी तरफ छोटे किसानों की मदद के लिए भी अलग से योजनाएं बनाई गई हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में ऐसे तमाम प्रावधान किए हैं जो चुनाव में जाने से पहले सरकार के हाथ मजबूत कर सकते हैं.

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बजट में खूब याद आए अन्नदाता

दरअसल वित्त मंत्री अपने बजट में बजट से ज्यादा किसान शब्द का इस्तेमाल किया, उससे कुछ ही कम गांव शब्द का इस्तेमाल किया, और उतना कृषि शब्द का इस्तेमाल किया. इस बजट ने साफ कर दिया है कि सरकार की नजर कहां है और क्यों हैं.

सरकार अभी तक कृषि के मोर्चे पर बुरी तरह नाकाम रही है. देश के अनेक हिस्सों में आत्महत्याएं बढ़ी हैं. उपज का दाम नहीं मिल रहा है. कभी टमाटर, कभी आलू तो कभी दूसरी सब्जियां फेंके जाने की घटनाएं सामने आती रही हैं. इन तस्वीरों के बरअक्स सरकार के साममने अपनी चिंताओं की उजली छवि सामने रखने का ये आखिरी मौका था. और सरकार ने इसे गंवाया नहीं.  

अपने आखिरी बजट में सरकार ने किसी को खुश करने की कोशिश की है तो वो हैं किसान, और इसके लिए सरकार ने दिल से लेकर खजाने तक का दरवाजा खोल दिया है.

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- गांवों की दशा सुधारने के लिए 14.5 लाख करोड़ का प्रावधान किया है. इसमें से 11 लाख करोड़ का इस्तेमाल किसानों को कर्ज देने के लिए.

- किसान क्रेडिट कार्ड के दायरे में अब पशुपालकों को भी लाया जाएगा.

- किसानों की उपज के इस्तेमाल के लिए 42 मेगा फूड पार्क बनेंगे.

- आलू-प्याज की पैदावार बढ़ाने के लिए 500 करोड़ का ऑपरेशन ग्रीन फंड.

- गरीब परिवारों को 2 करोड़ नए शौचालय बनाकर दिए जाएंगे.

- गांवों में इंटरनेट के विकास के लिए 10 हजार करोड़ का प्रावधान होगा.

- 2022 तक हर गरीब को घर देने का पुराना वादा दोहराया गया है.

सरकार ने इस आस में फैसला किया है कि चुनाव में जाने से पहले किसानों पर हुई ये बारिश उसके सत्ता में लौटने की उम्मीदों को भी बुलंद कर देगी.

इसके अलावा उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन देने के लक्ष्य को 5 करोड़ से बढ़ाकर 8 करोड़ तक कर दिया गया है. 5 लाख नए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने का प्रावधान किया गया है. 86 फीसद छोटे किसानों की उपज की खरीद के लिए अलग से ढांचा बनाने का एलान किया है.

क्या किसानों के बदलेंगे दिन?

बजट के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों की हालत सुधारे बगैर देश को सही दिशा में नहीं ले जाया जा सकता है और इसके लिए बजट में दिल खोलकर प्रावधान किया गया है. तो कहानी ये है कि इस बजट से किसान चाहे तो खुश हो सकता है. लेकिन मुश्किल ये है कि सरकार की ज्यादातर योजनाएं लंबी अविधि की है, और जबतक इसका फायदा उन्हें समझ में आएगा तबतक चुनाव आ जाएंगे.

बजट में किसानों के लिए सौगात

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सरकार ने किसानों के लिए इतना ही नहीं किया है, उसने पूरा बजट इस तरह से बनाया है कि हर तरह के किसान को अच्छे का एहसास हो. नौजवान किसान को वाईफाई मिलेगा, बड़े किसान को फूडपार्क मिलेगा तो छोटे किसानों को वाजिब दाम का वादा. इन वादों पर किसान कितने फिदा होंगे ये तो नहीं पता लेकिन सरकार ने इसे क्रांतिकारी बताया है.

गौरतलब है कि बजट से सबसे ज्यादा उम्मीद थी भी किसानों को ही. सरकार से सबसे ज्यादा नाराज भी वही हैं, क्योंकि 2014 में जिन वादों के साथ मोदी सरकार सत्ता में आई थी उनमें से ज्यादातर वादे अधूरे हैं. इसलिए ये बजट उसके लिए भूल सुधार की तरह देखा जा रहा था. अब जबकि सरकार ने अपनी तरफ से सुधार कर लिया है सवाल उठ रहे हैं कि क्या सालभर में इस सुधार से किसानों की दशा भी सुधऱ जाएगी.

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