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भारत ने निकाली चीन की हेकड़ी, RCEP में शामिल ना होने की ये है बड़ी वजह

भारत ने घरेलू उद्योगों के हित में सोमवार को एक बड़ा फैसला लिया. भारत RCEP यानी क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी में शामिल नहीं होगा और देश के बाजार सस्ते विदेशी सामान से नहीं भरेंगे. RCEP एक ऐसा समझौता है, जिस पर साइन करने से भारत चीन के चंगुल में बुरी तरह फंस सकता था. लेकिन मोदी सरकार ने घरेलू उद्योगों के हितों को देखते हुए इस समझौते में शामिल न होने का फैसला लिया है.

पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Photo- PTI) पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Photo- PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:01 AM IST

  • 16 देशों के RCEP समझौते में शामिल नहीं होगा भारत
  • पीएम मोदी के एक फैसले ने चीन को दिया करारा झटका

भारत ने घरेलू उद्योगों के हित में सोमवार को एक बड़ा फैसला लिया. भारत RCEP यानी क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी में शामिल नहीं होगा और देश के बाजार सस्ते विदेशी सामान से नहीं भरेंगे. RCEP एक ऐसा समझौता है, जिस पर साइन करने से भारत चीन के चंगुल में बुरी तरह फंस सकता था. लेकिन मोदी सरकार ने घरेलू उद्योगों के हितों को देखते हुए इस समझौते में शामिल न होने का फैसला लिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने RCEP शिखर सम्मेलन में हिस्सा तो लिया लेकिन वहां भारत के हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया.

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आरसीईपी समझौता 10 आसियान देशों और 6 अन्य देशों यानी ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है. इस समझौते में शामिल 16 देश एक-दूसरे को व्यापार में टैक्स कटौती समेत तमाम आर्थिक छूट देंगे.

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अगर भारत RCEP समझौता करता तो भारतीय बाजार में सस्ते चाइनीज सामान की बाढ़ आ जाती. चीन का अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर चल रहा है जिससे उसे नुकसान उठाना पड़ रहा है. चीन अमेरिका से ट्रेड वॉर से हो रहे नुकसान की भरपाई भारत और अन्य देशों के बाजार में अपना सामान बेचकर करना चाहता है. ऐसे में RCEP समझौते को लेकर चीन सबसे ज्यादा उतावला है.

आत्मघाती साबित होता कदम

RCEP में शामिल होने के लिए भारत को आसियान देशों, जापान और दक्षिण कोरिया से आने वाली 90 फीसदी वस्तुओं पर से टैरिफ हटाना पड़ता. इसके अलावा, चीन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आने वाले 74 फीसदी सामान को टैरिफ से मुक्त करना पड़ता. ये कदम भारत के लिए आत्मघाती साबित हो सकता था.

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RCEP में शामिल नहीं होगा भारत, घरेलू उद्योगों के हित में लिया फैसला

RCEP के 16 सदस्य देशों की जीडीपी पूरी दुनिया की जीडीपी का एक-तिहाई है और दुनिया की आधी आबादी इसमें शामिल है. इस समझौते में वस्तुओं व सेवाओं का आयात-निर्यात, निवेश और बौद्धिक संपदा जैसे विषय शामिल हैं. चीन के लिए ये एक बड़े अवसर की तरह है क्योंकि उत्पादन के मामले में बाकी देश उसके आगे कहीं नहीं टिकते. चीन इस समझौते के जरिए अपने आर्थिक दबदबे को कायम रखने की कोशिश में है.

पीएम मोदी ने कही यह बात

अगर भारत RCEP पर हस्ताक्षर कर देता तो चीन समेत सभी दूसरे देश सस्ती कीमतों पर अपना सामान भारत में बेचना शुरू कर देते और सबसे पहले भारत की छोटी कंपनियां इसका शिकार बनतीं.  गौरतलब है कि आरसीईपी शिखर सम्मेलन में अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'इस समझौते का मौजूदा स्वरूप RCEP की बुनियादी भावना और मान्य मार्गदर्शक सिद्धांतों को पूरी तरह जाहिर नहीं करता है. यह मौजूदा परिस्थिति में भारत के दीर्घकालिक मुद्दों और चिंताओं का संतोषजनक रूप से समाधान भी पेश नहीं करता.'

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