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सरकार ने तेल कंपनियों से कहा- पेट्रोल-डीजल के रेट न बढ़ें: सूत्र

खबर है कि सरकार ने तेल कंपनियों को अंतराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों बदलाव से आगाह कराया है. साथ ही कंपनियों को नुकसान का कुछ हिस्सा वहन करने के लिए भी तैयार रहने को कहा गया है.

कंपनियों को किया गया आगाह कंपनियों को किया गया आगाह
जावेद अख़्तर
  • नई दिल्ली,
  • 11 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 9:00 PM IST

तेल की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि सरकार के लिए चिंता का सबब बनी है. विपक्ष इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेर रहा है तो जनता भी कीमतों में इजाफे से हलकान है. इस बीच खबर ये आ रही है कि सरकार ने तेल कंपनियों से तेल की कीमतों में फिलहाल बढ़ोतरी नहीं करने के लिए कहा है.

ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सरकार ने तेल कंपनियों को अंतराष्ट्रीय बाजार में बढ़ रही क्रूड ऑयल की कीमतों से आगाह कराया है. कंपनियों को नुकसान का कुछ हिस्सा वहन करने के लिए भी तैयार रहने के लिए निर्देश दिए गए हैं.

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इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने क्या कहा

हालांकि, तेल कीमतों में इजाफा न करने जैसे सरकार के किसी निर्देश की बात से इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने इनकार किया है. ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में कंपनी के वित्त निदेशक ए.के शर्मा ने बताया कि सरकार की तरफ से अभी ऐसे कोई निर्देश नहीं आए हैं. उन्होंने कहा कि  हालात काबू से निकल जाने पर ही कंपनी रेट में इजाफा करती है.

बता दें कि हिंदुस्तान पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल को शेयरों में गिरावट दर्ज की जा रही है. भारत पेट्रोलियम के शेयरों में भी रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है. पीएम मोदी का आह्वान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बुधवार को तेल कीमतों पर अपनी राय रखी. उन्होंने हाइड्रोकार्बन बाजार से तेल और गैस की कीमतों को संतुलित रखने का आह्वान किया और कहा कि यह उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों के हित में होगा.

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मोदी ने दिल्ली में 16वें अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा फोरम (आईईएफ) के मंत्रियों की बैठक का उद्घाटन करते हुए यह बात कही. मोदी ने कहा, 'लंबे समय से दुनिया में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है. हमें उत्पादक और उपभोक्ताओं दोनों के हितों को संतुलित करने के लिए जिम्मेदार कीमतों की आवश्यकता है.'

मोदी ने चीन, जापान और खाड़ी देशों से आए प्रतिनिधियों से आह्वान किया, 'आइए, हम जिम्मेदार मूल्य निर्धारण पर एक वैश्विक सहमति तैयार करें, जो उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों के हित में हो.'

बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने भ्रष्टाचार के साथ तेल कीमतों को भी बड़ा मुद्दा बनाया था. ऐसे में अब जबकि 2019 के आम चुनाव ज्यादा वक्त नहीं बचा है. साथ ही दूसरी तरफ कई अहम राज्य के विधानसभा चुनाव भी होने हैं. ऐसे में अंतराष्ट्रीय बाजार का ध्यान रखते हुए मोदी सरकार की कोशिश है कि किसी तरह तेल कीमतों को नियंत्रित रखा जाए.

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