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भ्रष्टाचार पर मोदी सरकार सख्त, 2 साल में 9 आईपीएस अफसरों को किया जबरन रिटायर

मोदी सरकार आईआरएस ही नहीं, आईपीएस अफसरों पर भी सख्त है. संसद में सरकार ने भ्रष्ट आईपीएस अफसरों पर हुई कार्रवाई का ब्योरा दिया है.

भ्रष्ट आईपीएस अफसरों पर मोदी सरकार ने की कार्रवाई भ्रष्ट आईपीएस अफसरों पर मोदी सरकार ने की कार्रवाई
नवनीत मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 03 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST

भ्रष्टाचार पर नरेंद्र मोदी सरकार सख्त है. आईआरएस ही नहीं, आईपीएस अफसरों पर भी सरकार की गाज गिरी है. सरकार ने संसद में बताया है कि पिछले दो वर्षों के भीतर सरकार ने जनहित में भारतीय पुलिस सेवा के नौ अफसरों को जबरन रिटायरमेंट देते हुए सेवा से बाहर का रास्ता दिखा दिया.

पिछली बार से लेकर केंद्र में दोबारा सत्ता में आने तक मोदी सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे अफसरों पर लगातार कार्रवाई कर रही है. हालांकि कार्रवाई की जद में आने वाले कुछ अफसरों ने सवाल भी उठाए हैं. मोदी सरकार 2.0 में वित्त मंत्रालय अब तक डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 के तहत कुल 27 अफसरों को जबरन रिटायर कर चुका है.

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दरअसल, सांसद विजय कुमार दुबे ने लोकसभा में पूछा था कि क्या सरकार का निकट भविष्य में नियम 56 के तहत कुछ भ्रष्ट आईपीएस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने का कोई प्रस्ताव है. अगर हां तो ऐसे अफसरों का ब्यौरा क्या है. सदन में जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि अखिल भारतीय सेवा( मृत्यु सह सेवानिवृत्ति लाभ) नियमावली, 1958 के निमय 16 के उप नियम 3 के तहत भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों की सेवाओं की समीक्षा की जाती है.

पिछले दो वर्षों के दौरान, सार्वजनिक हित में नौ आईपीएस अफसरों को सेवानिवृत्ति दी गई है. हालांकि इसमें उत्तर प्रदेश काडर का कोई अफसर शामिल नहीं है. हालांकि, सरकार ने जबरन रिटायर किए गए आईपीएस अफसरों का नाम सार्वजनिक नहीं किया.

क्या है नियम 56?

नियम 56 एक तरह से केंद्र सरकार का ब्रह्मास्त्र है. जिसका इस्तेमाल नकारा और भ्रष्ट अफसरों को सेवा से बाहर करने के लिए किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट भी भ्रष्ट आचरण वाले अफसरों को जबरन रिटायरमेंट देने के पक्ष में है. जबरन रिटायरमेंट देने को लेकर कुछ शर्तें भी हैं. इसके दायरे में वे अफसर आते हैं, जिनकी सर्विस के दौरान आचरण को लेकर गंभीर शिकायते रहतीं हैं. उनकी उम्र 50 से 55 साल की हो और 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. नियम 56 के इस्तेमाल के पीछे सरकार का मकसद नॉन- परफॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है. सरकार के जरिए अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिए जाने का नियम काफी पहले से ही प्रभावी है.

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