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24 घंटे काम कैसे करते हैं पीएम मोदी? बताया अपना वर्क कल्चर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहले ऑफिस से प्रधानमंत्री आमतौर पर 6-7 बजे निकल जाते थे. दोपहर में 1-2 घंटे के लिए निकल जाते थे. लेकिन मैं सुबह से जाता हूं और देर रात तक बैठा रहता हूं. तो सब देखते हैं कि मैं खुद मेहनत करता हूं. मुझे कोई काम होता है तो मैं रात 11 बजे भी फोन कर देता हूं.

पीएम नरेंद्र मोदी ने पहली बार राजनीति से इतर अनोखा इंटरव्यू दिया. पीएम नरेंद्र मोदी ने पहली बार राजनीति से इतर अनोखा इंटरव्यू दिया.
राहुल विश्वकर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 11:27 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस चुनावी मौसम में पहली बार सियासी बातों से इतर एक अनोखा इंटरव्यू दिया. पीएम मोदी का ये इंटरव्यू बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार ने लिया. इसमें पीएम ने अपने बचपन से लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री तक के सफर के दौरान अपने जीवन की कई दिलचस्प बातें बताईं.

सवाल-जवाब के दौर में अक्षय कुमार ने कहा कि आपकी छवि बहुत सख्त है. कई लोगों से मैंने बातचीत की. सभी कहते हैं कि मोदी जी बहुत काम करवाते हैं. आप 24 घंटे काम कैसे करते हैं? आपका वर्क कल्चर क्या है.

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इस पीएम ने कहा कि मेरी जो ये छवि बनाई गई है, वो सही नहीं है. अगर कोई ये कहता है कि मैं काम करवाता हूं तो ठीक नहीं है. हां, अगर कोई ये कहता है कि हां काम बहुत करना पड़ता है तो उसमें सच्चाई है. मैं कोई दबाव नहीं डालता. क्योंकि वे जब खुद मुझे देखते हैं कि मैं लगातार काम कर रहा हूं तब वे प्रेरित होते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहले ऑफिस से प्रधानमंत्री आमतौर पर 6-7 बजे निकल जाते थे. दोपहर में 1-2 घंटे के लिए निकल जाते थे. लेकिन मैं सुबह से जाता हूं और देर रात तक बैठा रहता हूं. तो सब देखते हैं कि मैं खुद मेहनत करता हूं. मुझे कोई काम होता है तो मैं रात 11 बजे भी फोन कर देता हूं. तो उनको लगता है कि ये अभी भी काम कर रहा है. इस तरह से टीम की स्प्रिट बढ़ती है, इससे एक वर्क कल्चर डेवलप होता है. मेरे आसपास भी ऐसा ही वर्क कल्चर डेवलप होता है. मैं खुद इसी कारण  काम करता हूं. सख्ती, अनुशासन थोपने से नहीं आती है. मैंने ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट में ही जिंदगी खपाई है. आप लोगों को झूठ बोलकर लंबे अरसे तक प्रभावित भी नहीं कर सकते. इसलिए जैसे हैं वैसे ही रहना चाहिए.

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मान लीजिए मैं मीटिंग कर रहा हूं और कोई मोबाइल में व्यस्त दिखता है या ट्विटर देख रहा होता है तो मैं पूछ लेता हूं  कि हां मैं क्या कह रहा था. उसके बाद से मेरी मीटिंग में कोई मोबाइल लेकर नहीं आता.

मैं जब किसी से मिलता हूं तो मेरा कभी भी बीच में कोई फोन नहीं आता. ये अनुशासन मैंने खुद की जिंदगी में बनाए रखा है. इसका प्रभाव पड़ता है. मैं काम के वक्त काम में ही रहता हूं. समय नहीं खराब करता हूं.  

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