
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय दौरे के लिए शुक्रवार सुबह नेपाल पहुंचे. यहां उन्होंने जनकपुर के जानकी मंदिर में पूजा की. इसके अलावा PM मोदी ने नेपाली पीएम के.पी. ओली के साथ जनकपुर-अयोध्या बस सर्विस को हरी झंडी दिखाई. इस बस सर्विस को रामायण सर्किट के विस्तार के तौर पर देखा जा रहा है. आपको बता दें कि अयोध्या से जनकपुर के बीच करीब 493 किमी. की दूरी है.
मोदी बोले- यहां पूजा करने वाला मैं पहला PM
इस बस सेवा के शुरू होने से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को आने जाने में सुविधा होगी. इसके अलावा दिल्ली से अयोध्या पहुंचकर नेपाल के जनकपुर जाने के लिए सीधी बस ले सकेंगे लोग. मधेसी इलाकों से भारत की आवाजाही में लोगों को आसानी होगी.
जानकी मंदिर में पूजा करने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे गर्व है कि यहां आकर माता सीता की पूजा करने का सौभाग्य मिला. मैं भारत का पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने जनकपुर में आकर पूजा की. मैं नेपाल के प्रधानमंत्री का शुक्रिया करना चाहता हूं.
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में टूरिज्म तेज गति से आगे बढ़ रहा है. हम दोनों देश मिलकर रामायण सर्किट की योजना को आगे बढ़ा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मेरे लिए खुशी की बात है कि जिस यूपी के बनारस ने मुझे प्रधानमंत्री बनाया और उसी यूपी के अयोध्या से जनकपुर की बस सर्विस शुरू हो रही है.
क्यों खास है जनकपुर?
नेपाल के जनकपुर के केन्द्र में स्थित जानकी मंदिर देवी सीता को समर्पित है. इस मंदिर को जनकपुरधाम भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग इस मंदिर के विशाल परिसर को देखकर दंग रह जाते हैं.
मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ की रानी ने इस मंदिर को 1911 में बनवाया था. इसके निर्माण में तकरीबन 16 साल लगे थे. मन्दिर के विशाल परिसर के आसपास कुल मिलाकर 115 सरोवर हैं. इसके अलावा कई कुण्ड भी हैं, जिनमें गंगासागर, परशुराम कुण्ड एवं धनुष-सागर अधिक प्रसिद्ध हैं.
गौरतलब है कि रामायण सर्किट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है जिसमें जनकपुर एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. रामायण सर्किट योजना के पहले चरण के लिए केन्द्र सरकार ने 245 करोड़ का बजट प्रस्तावित किया है. इसके अलावा चित्रकूट और श्रृंगवेरपुर के बीच के 11 स्थलों के लिए भी अलग बजट प्रस्तावित है. इन महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा, जहां से प्रभु राम वनवास के दौरान होकर श्रीलंका गए थे.