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नेपाल पर चीन की पकड़ कमजोर करने के लिए भारत ने बनाया मास्टर प्लान!

सूत्रों के अनुसार पीएम नरेंद्र मोदी ओली को साफ संदेश देंगे कि नेपाल अपने डैम प्रोजेक्ट चीन को दे सकता है, लेकिन ऐसा करने पर भारत उससे बिजली नहीं खरीदेगा.

केपी ओली और नरेंद्र मोदी केपी ओली और नरेंद्र मोदी
अंकुर कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 06 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 12:42 PM IST

सामरिक दृष्टि से भारत और चीन दोनों की नजर नेपाल पर है. वहीं नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली का शुक्रवार से भारत का तीन दिवसीय दौरा शुरू हो रहा है. इस दौरे पर वह पीएम नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे. इस मुलाकात में पीएम मोदी भारत की तरफ से नेपाल को कड़े संदेश दे सकते हैं.

सूत्रों के अनुसार पीएम नरेंद्र मोदी ओली को साफ संदेश देंगे कि नेपाल अपने डैम प्रोजेक्ट चीन को दे सकता है, लेकिन ऐसा करने पर भारत उससे बिजली नहीं खरीदेगा.

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ओली के इस दौरे पर कई कूटनीतिक मसलों पर बातें साफ होंगी. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार चीन और भारत के बीच खासकर एक डैम प्रोजेक्ट को लेकर तनाव है. नेपाल के हिस्से में स्थित बूढ़ी गंडकी नदी पर बनने वाले इस प्रोजेक्ट की लागत 2.5 बिलियन डॉलर है. ऐसे में भारत, नेपाल को अपनी आपत्तियों से अवगत करा सकता है.

क्या है विवाद

पिछले साल तत्कालीन पीएम पुष्प कमल दहल ने चीन की ओबीओआर परियोजना में शामिल होने की सहमति दी थी. साथ ही जून में बूढ़ी गंडकी प्रोजेक्ट को चीन के गेहोबा ग्रुप को दे दिया था. हालांकि कुछ ही महीनों में पुष्प कमल दहल के बाद नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देऊवा पीएम बन गए और उन्होंने अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए नवंबर में इस प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया.

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इस फैसले पर कहा गया कि भारत ने दबाव बनाकर देऊवा से यह प्रोजेक्ट रद्द करवाया है. पिछले महीने ओली ने बयान जारी कर कहा था कि वह बूढ़ी गंडकी प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करना चाहेंगे, इसके लिए कुछ भी करना पड़े. उनके अनुसार भले ही राजनीतिक पक्षपात और विरोधी कंपनियों के दबाव की वजह से वह प्रोजेक्ट कैंसल कर दिया गया हो, लेकिन उनका फोकस हाइड्रोपावर पर है.

ओली के अनुसार नेपाल को आयात होने वाले महंगे तेलों की जगह हाइड्रोपावर की क्षमता को बिना विलंब किए बढ़ाना चाहिए. फिलहाल वह काफी हदतक तेलों को भारत से आयात करता है. सूत्रों के अनुसार महंगे तेलों ने नेपाल की इकनॉमी को पिछले 5 साल में काफी नुकसान पहुंचाया है.

पीएम मोदी और ओली इस्टर्न नेपाल में 1.5 बिलियन डॉलर की लागत और 900 MW क्षमता वाले अरुण III हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट की नई दिल्ली से वर्चुअल रूप से आधारशिला रखेंगे. हालांकि मोदी द्वारा नेपाल को यह मदद कूटनीतिक चेतावनी के साथ होगी.

ऊर्जा और सुरक्षा क्षेत्र में रहेगी नजर

सीनियर अधिकारियों के अनुसार ओली अपने 53 प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आ रहे हैं. हालांकि इस दौरे पर भारत ऊर्जा और सुरक्षा क्षेत्र में अपनी आपत्तियों को नेपाल से जरूर साझा करेगा.

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यह तय है कि भारत अरुण प्रोजेक्ट से ज्यादातर बिजली खरीदेगा. इस प्रोजेक्ट को भूटान के साथ हाइड्रोपावर सहयोग के तर्ज पर पब्लिक सेक्टर की कंपनी सतलज जल विद्युत निगम के द्वारा बनाया गया है. इस भूटान मॉडल के तहत भारत इस प्रोजेक्ट से ज्यादातर बिजली खुद खरीदेगा.

सूत्रों के अनुसार नेपाल के साथ भी भारत यह नियम रख सकता है कि उसकी कंपनियों को ही प्रोजेक्ट मिले वरना वह चीन द्वारा बनाए गए प्रोजेक्ट से बिजली नहीं खरीदेगा. सरकार यह साफ करना चाहेगी अगर नेपाल प्रोजेक्ट चीन को दे तो बिजली भी उसे ही बेचे.

नेपाल को यह होगी दिक्कत

भारत की इस नीति से नेपाल को चीन की ओर बढ़ाए गए अपने हाथों को समेटना पड़ सकता है. वजह यह है कि हिमालय से होते हुए चीन और तिब्बत के इलाकों में बिजली सप्लाई विकसित करने में दिक्कत होगी. चीन के थ्री गोरजेस कॉरपोरेशन को नेपाल में दूसरा डैम प्रोजेक्ट दिया गया है. वहीं भारत के GMR और SJVN को दो प्रोजेक्ट मिला है.

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