
बीजेपी में शामिल होते ही नरेश अग्रवाल ने पार्टी की फजीहत करा दी. सोमवार को बीजेपी का दामन थामते ही उन्होंने फिल्मी कलाकारों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि फिल्मी कलाकारों, नाचने गाने वालों से मेरी तुलना की गई. इसका मुझे दुख है. इस पर फौरन बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने पार्टी की ओर से सफाई दी.
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने नरेश अग्रवाल को बीजेपी में शामिल कराया. पार्टी में शामिल होने के बाद नरेश अग्रवाल ने मीडिया से मुखातिब होते हुए सपा की ओर से राज्यसभा का टिकट कटने पर जमकर भड़ास निकाली. इस दौरान वे शब्दों की गरिमा भी खो बैठे और बिना जया बच्चन का नाम लिए कहा कि नाचने गाने वाली, फिल्मों में काम करने वालों से जो उनकी तुलना की गई, वह ठीक नहीं है. दरअसल सपा ने इस बार राज्यसभा के लिए नरेश अग्रवाल की बजाए जया बच्चन के नाम पर मुहर लगाई है.
नरेश अग्रवाल की बात पूरी होते ही फौरन पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने मोर्चा संभाला और पार्टी का स्टैंड क्लियर करते हुए कहा कि बीजेपी सभी लोगों का सम्मान करती है. वह किसी भी वर्ग समुदाय से हो, या फिल्मों से हो.
नरेश अग्रवाल ने कहा कि वे समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव और रामगोपाल यादव का साथ कभी नहीं छोडेंगे. लेकिन समाजवादी पार्टी जिस ढंग से तमाम दलों के साथ गठबंधन कर रही है, ऐसे में वो अब पहले वाली सपा नहीं रही. नरेश अग्रवाल ने कहा कि बीजेपी से मैंने कोई राज्यसभा का टिकट नहीं मांगा है. कोई शर्त नहीं रखी है. BJP जो भी काम देगी, वह करने को तैयार हैं.
बता दें कि समाजवादी पार्टी के छह राज्यसभा सांसद रिटायर हो रहे हैं. किरणमय नंदा, दर्शन सिंह यादव, नरेश अग्रवाल, जया बच्चन, मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी के नाम इस लिस्ट में हैं. सपा के पास सिर्फ 47 वोट हैं, अखिलेश यादव सिर्फ एक नेता को ही संसद भेज सकते हैं. बाकी के 9 अतिरिक्त वोट पार्टी गठबंधन के तहत बीएसपी उम्मीदवार को देगी.
समाजवादी पार्टी ने नरेश अग्रवाल, किरणमय नंदा, दर्शन सिंह यादव, मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी को राज्यसभा का टिकट नहीं दिया है. सपा ने अपने छह राज्यसभा सदस्यों में सिर्फ जया बच्चन को भेजने का फैसला किया है.
माना जा रहा है कि इसी से नरेश अग्रवाल नाराज हैं. उनका दर्द ये है कि वो राज्यसभा में सबसे ज्यादा मुखर रहे हैं और पार्टी की रीतियों-नीतियों को केंद्रीय स्तर पर उठाते रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने जया बच्चन को राज्यसभा भेजने का फैसला किया और उनका पत्ता काट दिया गया.