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डॉक्टर हड़ताल पर, जानिए...क्यों कर रहे हैं नए मेडिकल बिल का विरोध?

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने लोकसभा में नेशनल मेडिकल कमीशन बिल-2019 पास होने का विरोध किया है. IMA ने आज यानी बुधवार को सुबह 6.00 बजे से 24 घंटे तक पूरे देश में गैर-जरूरी सेवाओं को बाधित रखकर हड़ताल करने का आह्वान किया है. हालांकि, इमरजेंसी, ट्रॉमा, आईसीयू और संबंधित सेवाएं चलती रहेंगी.

नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में आज डॉक्टर हड़ताल पर हैं. (फाइल फोटो) नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में आज डॉक्टर हड़ताल पर हैं. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 10:50 AM IST

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने लोकसभा में नेशनल मेडिकल कमीशन बिल-2019 पास होने का विरोध किया है. IMA ने आज यानी बुधवार को सुबह 6 बजे से 24 घंटे तक पूरे देश में गैर-जरूरी सेवाओं को बाधित रखकर हड़ताल करने का आह्वान किया है. आईएमए ने डॉक्टरों से कहा है कि वे बुधवार सुबह 6 बजे से अगले दिन 1 अगस्‍त की सुबह 6 बजे तक हड़ताल करेंगे. हालांकि, इमरजेंसी, ट्रॉमा, आईसीयू और संबंधित सेवाएं चलती रहेंगी. आईएमए ने कहा है कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल-2019 के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी.  

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आईएमए का कहना है कि इस बिल से मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षा महंगी हो जाएगी. इस बिल में कहा गया है कि मेडिकल कॉलेजों के प्रबंधन 50 फीसदी से अधिक सीटों को ज्यादा दर पर बेच पाएंगे. इसके अलावा, इस बिल में मौजूद धारा-32 के तहत प्रावधान है कि करीब 3.5 लाख गैर-चिकित्सा शिक्षा प्राप्त लोगों को लाइसेंस मिलेगा. यानी नीम-हकीमी को बढ़ावा मिलेगा, इससे लोगों की जान खतरे में पड़ जाएगी. आईएमए ने कहा कि बिल में कम्युनिटी हेल्थ प्रोवाइडर शब्द को सही से परिभाषित नहीं किया गया है. इसके अनुसार, अब नर्स, फार्मासिस्ट और पैरामेडिक्स आधुनिक दवाइयों के साथ प्रैक्टिस कर सकेंगे. जबकि, वे इसके लिए प्रशिक्षित नहीं होते हैं.

जानिए...क्या महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं इस नए मेडिकल बिल में

मेडिकल एडवाइजरी काउंसिल बनेगीः केंद्र सरकार मेडिकल एडवाइजरी काउंसिल बनाएगी जो मेडिकल शिक्षा और प्रशिक्षण के बारे में राज्यों को अपनी समस्याएं और सुझाव रखने का मौका देगी. साथ ही यह काउंसिल मेडिकल शिक्षा में बेहतर सुधार लाने के लिए नए सुझाव भी देगी.

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मेडिकल की सिर्फ एक परीक्षा होगीः इस कानून के लागू होते ही पूरे देश के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए सिर्फ एक परीक्षा ली जाएगी. इस परीक्षा का नाम नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) होगा.

मेडिकल प्रैक्टिस के लिए देना होगा टेस्टः मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉक्टरों को मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए एक और टेस्ट देना होगा. उसे पास करने के बाद ही मेडिकल प्रैक्टिस का लाइसेंस मिलेगा. इसी टेस्ट के आधार पर पोस्ट-ग्रैजुएशन में एडमिशन किया जाएगा. लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि कोई छात्र एक बार एग्जिट परीक्षा नहीं दे पाया तो उसके पास दूसरा विकल्प नहीं है. इस बिल में दूसरी परीक्षा का विकल्प नहीं है.

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया खत्म होगीः इस कानून के आते ही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया खत्म हो जाएगा. इसके अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवाएं भी खत्म हो जाएंगी. उन्हें 3 महीने की तनख्वाह और भत्ते मिलेंगे. इसके बाद बनेगा नेशनल मेडिकल कमीशन. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अफसरों की नियुक्ति चुनाव से होती थी लेकिन मेडिकल कमीशन में सरकार द्वारा गठित एक कमेटी अधिकारियों का चयन करेगी.

निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस तय होगीः नेशनल मेडिकल कमिशन निजी मेडिकल संस्थानों की फीस तय करेगा लेकिन सिर्फ 40% सीटों पर ही. 50 फीसदी या उससे ज्यादा सीटों की फीस पर निजी संस्थान खुद तय कर सकते हैं.

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आयुर्वेद-होम्योपैथी के डॉक्टर करेंगे एलोपैथिक इलाजः इस बिल के तहत एक ब्रिज कोर्स कराया जाएगा, जिसे करने के बाद आयुर्वेद, होम्योपेथी के डॉक्टर भी एलोपैथिक इलाज कर पाएंगे. इसी बिंदु का आईएमए खुलकर विरोध कर रहा है.

मेडिकल रिसर्च को बढ़ावा दिया जाएगाः नेशनल मेडिकल कमीशन सुनिश्चित करेगा कि चिकित्सा शिक्षा में अंडर-ग्रैजुएट और पोस्ट-ग्रैजुएट दोनों स्तरों पर उच्च कोटि के डॉक्टर आएं. इसके साथ ही मेडिकल प्रोफेशनल्स को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे नए मेडिकल रिसर्च करें.

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