
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर एक और याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अपनी याचिका में तीन किसानों ने एनपीआर के अपडेशन की प्रक्रिया को शून्य घोषित करते हुए असंवैधानिक करार देने की मांग की है.
याचिकाकर्ता उदगार राम, बिमलेश कुमार यादव और संजय साफी ने नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 14-ए को चुनौती दी है, जिसे 2004 में एक संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया था. यह प्रावधान केंद्र सरकार को भारत के प्रत्येक नागरिक को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने का अधिकार देता है और प्रत्येक नागरिक को एक राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने का अधिकार देता है.
दूसरी ओर, इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट एनपीआर की दो याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस भेज चुका है.
याचिकाकर्ता किसानों का आरोप है कि नागरिकता कानून में बदलाव के बाद सरकार को मिला अधिकार, असल में निजता के अधिकार का उल्लंघन है.
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NPR प्रक्रिया पर रोक से इनकार
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हालांकि, कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर दाखिल नई याचिकाओं को लेकर केंद्र को नोटिस जारी किया है. एनपीआर पर रोक लगाने के लिए सोमवार को जनहित दायर की गई थी.
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इस जनहित याचिका में तर्क दिया गया कि आधार में डेटा की सिक्योरिटी की गारंटी है, लेकिन नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियमावली, 2003 के तहत इकट्ठा की जा रही जानकारी के दुरुपयोग से किसी भी सुरक्षा की गारंटी नहीं है.