
केरल में आई भीषण बारिश और बाढ़ के बाद सेना को राहत और बचाव कार्य के लिए उतारा गया था. करीब 16 हजार लोगों की जान बचाने वाली नेवी ने 14 दिन बाद बुधवार को अपना अभियान खत्म कर दिया. बताया गया कि कहीं से भी अब बचाव का कोई अनुरोध नहीं मिला है और प्रभावित इलाकों में पानी का स्तर लगातार घट रहा है.
दक्षिणी नौसेना कमांड की ओर से कहा गया है कि राज्य प्रशासन और आपदा राहत अभियान उपक्रमों में सहायता के लिए 9 अगस्त को शुरू किए गए ‘ऑपरेशन मदद’ के दौरान नौसेना के जवानों ने कुल 16,005 लोगों को बचाया.
जवानों को विदाई देगी सरकार
भयंकर बारिश के समय बचाव अभियान में हिस्सा लेने वाले सशस्त्र बल के जवानों के प्रति आभार जताते हुए केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार रविवार को राहत कार्य में लगे जवानों के लिए विदाई समारोह का आयोजन करेगी.
विजयन ने बचाव और राहत उपायों की समीक्षा से जुड़ी एक बैठक के बाद कहा कि सशस्त्र बलों के जवानों, जिन्होंने बचाव अभियान में हिस्सा लिया, उनके लिए 26 अगस्त को यहां एक विदाई कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आज मुश्किल में फंसे किसी व्यक्ति को बाहर नहीं निकाला गया, इससे पता चलता है कि बचाव अभियान का अब खत्म हो गया है.
सरकार ने सद्भावना के तौर पर उन मछुआरों का भी आभार जताया है जिन्होंने संकट की इस घड़ी में बचाव अभियानों में हिस्सा लिया और कई लोगों को मुश्किल हालात से बाहर निकालने में मदद की. विजयन ने कहा कि राज्य के 3,314 राहत शिविरों में करीब 12.10 लाख लोग मौजूद हैं.
आपदा प्रबंधन राज्य नियंत्रण कक्ष के अनुसार आठ अगस्त से भयंकर वर्षा और बाढ़ की चपेट में आए राज्य में 350 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 32 लोग अब भी लापता हैं. अभियान के खत्म किए जाने के बीच राजनीतिक दलों के बीच बाढ़ को लेकर सियासी जंग शुरू हो गई है. कांग्रेस की अगुवाई वाली यूडीएफ और बीजेपी ने इस त्रासदी के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया है.
लेनी चाहिए UAE की मदद
मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि यूएई की ओर से बाढ़ राहत सहायता के तौर पर केरल को की गई 700 करोड़ रुपए की पेशकश स्वीकार करने में अगर कोई दिक्कत है तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इस मुद्दे को उठाएंगे और कहेंगे कि वह दिक्कत दूर करें. उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक है कि दोनों देश एक-दूसरे की मदद करें. वर्ष 2016 में घोषित आपदा प्रबंधन नीति साफ करती है कि अगर किसी दूसरे देश की राष्ट्रीय सरकार स्वेच्छा से सद्भावनापूर्ण कदम उठाते हुए सहायता की पेशकश करती है तो केंद्र सरकार यह पेशकश स्वीकार कर सकती है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार आधिकारिक स्तर पर बातचीत करके मुद्दे को सुलझाना चाहती है, लेकिन जरूरत पड़ी तो प्रधानमंत्री के दखल की मांग की जाएगी. इससे पहले, कांग्रेस ने केंद्र की ओर से विदेशी सहायता स्वीकार नहीं करने की संभावना जताने वाली मीडिया की खबरों को निराशाजनक कहा था और प्रधानमंत्री से नियमों में संशोधन की अपील की थी.