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नेपालः मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को घर से बाहर रखना अपराध

2016 में भी इस कुप्रथा के कारण दो महिलाओं की जान चली गई थी. देश की शीर्ष अदालत ने एक दशक से भी अधिक समय पहले इस कुप्रथा पर रोक लगा दी थी, लेकिन देश के कई भागों में यह अब भी प्रचलन में बताई जाती है.

नेपाली संसद ने पास किया कानून नेपाली संसद ने पास किया कानून
नंदलाल शर्मा
  • काठमांडू ,
  • 10 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 7:02 PM IST

नेपाली संसद ने बुधवार को मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के घर में प्रवेश को वर्जित करने वाली पुरानी प्रथा को अपराध घोषित कर दिया. नेपाल के विभिन्न समुदायों में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अपवित्र समझा जाता है और कुछ सुदूर इलाकों में उनको इस अवधि में घर से दूर एक झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर किया जाता है. इस प्रथा को छौपदी के नाम से जाना जाता है.

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नये कानून में किसी महिला को इस प्रथा को मानने के लिए मजबूर करने वाले को तीन माह जेल की सजा या 2000 रुपये का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. महिलाओं को मासिक धर्म की अवधि के दौरान घर से दूर एक झोपड़ी में सोने के लिए विवश किया जाता है जिसे छाउ गोठ कहा जाता है. पिछले महीने इसी तरह की एक झोपड़ी में सोई एक किशोरी को सांप ने डस लिया और उसकी मौत हो गई.

2016 में भी इस कुप्रथा के कारण दो महिलाओं की जान चली गई थी. देश की शीर्ष अदालत ने एक दशक से भी अधिक समय पहले इस कुप्रथा पर रोक लगा दी थी, लेकिन देश के कई भागों में यह अब भी प्रचलन में बताई जाती है.

ध्वनिमत से पारित इस कानून में कहा गया है कि माहवारी के दौरान महिला को छौपदी के तहत बाहर नहीं रखा जा सकता. इस तरह का उत्पीड़न या छुआछूत भरी भावना अमानवीय व्यवहार माना जाएगा.

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नेपाल में छौपदी की परंपरा हिंदुत्व से जुड़ी हुई है और इस परंपरा में माहवारी के दौरान और बच्चे पैदा होने के बाद भी महिलाओं को अछूत माना जाता है.

इस दौरान महिलाओं को घर से निकाल दिया जाता है और भोजन छूने, धार्मिक प्रतीकों को छूने और जानवरों और मर्दों से भी दूर रखा जाता है.

 

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