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नई शिक्षा नीति पर बोले जावड़ेकर-आरएसएस की विचारधारा में गलत क्या है?

नई शिक्षा नीति के बारे में बताते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा में गलत किया है, क्या अच्छा इंसान बनाना गलत है?

 केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर
हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 30 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 1:56 PM IST

  • 34 साल बाद मोदी सरकार ने बदली शिक्षा नीति
  • जावड़ेकर बोले- कम होगा स्कूल बैग का बोझ

मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है. नई शिक्षा नीति के बारे में बताते हुए पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री और मौजूदा पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा में गलत किया है, क्या अच्छा इंसान बनाना गलत है?

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केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि नई शिक्षा नीति से भविष्य में स्कूल बैग का बोझ कम होगा. इससे स्किल बढ़ेगा और रोजगार के अवसर मिलेंगे. विकल्प के रूप में स्थानीय भाषा भी रहेगी. इसके जरिए भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा. प्राइवेट स्कूल पर कोई भार नहीं पडे़गा.

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नई शिक्षा नीति के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि संसद की स्थायी कमेटी के सामने बिल पर दो बार चर्चा हुई. इसके साथ ही सभी सांसदों और ब्लाक-पंचायत स्तर पर बिल के मसौदे पर चर्चा हुई थी. सबके सुझाव लेने के बाद मोदी सरकार ने बिल को मंजूरी दी है.

आजतक से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ग्राम पंचायत से लेकर तमाम शिक्षाविदों से सलाह के बाद ही नई शिक्षा नीति को तैयार किया गया था. आरएसएस की विचारधारा क्या है? क्या राष्ट्रहित की बात करना गलत है? वो क्या चाहते हैं कि राष्ट्रविरोधी शिक्षा दी जाए.

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34 साल बाद बदला शिक्षा नीति का पैटर्न

मोदी सरकार ने बुधवार को नई शिक्षा नीति पर मुहर लगई थी. करीब दो लाख सुझाव के बाद नई शिक्षा नीति तैयार की गई है. अब 10 + 2 को अलग-अलग फॉर्मेट में 5+3+3+4 के फॉर्मेट में बदल दिया गया है. अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और क्लास 1 और 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे.

फिर अगले तीन साल को क्लास 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा. इसके अलावा शिक्षा प्रणाली को लेकर कई तरह से परिवर्तन किए गए हैं. सभी इंस्टीट्यूट के लिए एक एंट्रेंस एग्जाम होगा. क्षेत्रीय भाषाओं में भी ऑनलाइन कोर्स होंगे. 2030 तक हर जिले में या उसके पास कम से कम एक बड़ा मल्टी सब्जेक्ट हाई इंस्टिट्यूशन होगा.

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