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सफाईगीरी अवॉर्ड: वेस्ट वंडर्स पार्क का जलवा, बेकार सामान से बनाए 7 अजूबे

इंडिया टुडे ग्रुप के सफाईगीरी अवॉर्ड में बेस्ट वेस्ट वेल्थ क्रिएटर्स का अवॉर्ड दक्षिण दिल्ली नगर निगम में बने वेस्ट वंडर्स पार्क को दिया गया. वेस्ट वंडर्स दक्षिणी दिल्ली का एक पार्क है. यहां पर दुनिया के सात अजूबों के नमूनों को बेकार पड़े सामानों को तैयार किया गया है.

SDMC के वेस्ट वंडर पार्क को सफाईगीरी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. (फोटो-आजतक) SDMC के वेस्ट वंडर पार्क को सफाईगीरी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. (फोटो-आजतक)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST

  • वेस्ट वंडर्स पार्क को सफाईगीरी अवॉर्ड
  • कचरे से तैयार किया सेवन वंडर पार्क
इंडिया टुडे ग्रुप के सफाईगीरी अवॉर्ड में बेस्ट वेस्ट वेल्थ क्रिएटर्स का अवॉर्ड दक्षिण दिल्ली नगर निगम (SDMC) में बने वेस्ट वंडर्स पार्क (Waste wonder park) को दिया गया. वेस्ट वंडर्स दक्षिणी दिल्ली का एक पार्क है. यहां पर दुनिया के सात अजूबों के नमूनों को बेकार पड़े सामानों को तैयार किया गया है. यहां आकर आप दिल्ली में एक ही स्थान पर दुनिया के सात अजूबों को देख सकते हैं. ये पार्क बनते ही हिट हो गया है और मात्र 6 महीने में ही लोगों की एंट्री फी से ही अपने निर्माण की कीमत वसूल कर ली है.

एसडीएमसी के अधिकारी आलोक सिंह और आर के शर्मा ने ये अवॉर्ड लिया. आलोक सिंह हॉर्टिक्लचर विभाग के डायरेक्टर हैं और आर के शर्मा इलेक्ट्रिक विभाग के चीफ इंजीनियर हैं. एसडीएमसी के अधिकारियों ने कहा कि ये पार्क 150 टन औद्योगिक कचरे से बनाया गया है. उन्होंने कहा कि इस पार्क में एंट्री के लिए छोटी सी फी ली जाती है. इसी के दम पर नगर निगम ने इसके निर्माण में आए खर्चे को वसूल लिया है.

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अभिनेत्री गुल पनाग ने एसडीएमसी की इस पहल की तारीफ की. उन्होंने कहा कि वे आज ही इस वेस्ट वंडर्स पार्क को देखना चाहेंगी. इस पार्क में आने के लिए युवाओं को 50 रुपये और बच्चों से 25 रुपये की एंट्री फी ली जाती है. यहां रोजाना करीब 5 हजार से 10 हजार लोग आते हैं. वीकेंड में ये संख्या 15 से 20 हजार हो जाती है. ये पार्क सराय काले खां के पास स्थित है.

दक्षिण दिल्ली नगर निगम का कहना है कि उन्होंने गीले कचरे को प्रोसेस करने के लिए 30 ग्रीन वेस्ट मैनेजमेंट केंद्र बनाए हैं, जहां पर इन्हें प्रोसेस कर कंपोस्ट किया जाता है. SDMC के मुताबिक ज्यादातर ग्रीन कचरे को लैंड फिल साइट पर नहीं भेजा जाता है.

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