
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने स्टरलाइट कॉपर मामले में उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित करने के आदेश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज इस कमेटी के अध्यक्ष होंगे. चार हफ्ते में एनजीटी को कमेटी अपनी रिपोर्ट सौंपेगी कि क्या स्टरलाइट कॉपर को बंद करने का तमिलनाडु सरकार का फैसला सही है या नहीं.
पर्यावरण मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी इस कमेटी को अपनी सिफारिशें देंगे. एनजीटी ने सोमवार को फिर साफ कर दिया कि उनके पिछले आदेश के मुताबिक ही स्टर्लिंग कॉपर अपनी एडमिनिस्ट्रेटिव यूनिट को तो चला सकता है, लेकिन फैक्टरी पर ताला लगा रहेगा.
इसी साल मई में तमिलनाडु सरकार ने तूतीकोरिन में स्टरलाइट कॉपर प्लांट को स्थायी रूप से बंद करने के आदेश दिया था. इसके पीछे राज्य सरकार की दलील थी कि इससे भूजल प्रदूषण बढ़ रहा है. इससे पहले तमिलनाडु के तूतीकोरिन में वेदांता की स्टरलाइट कॉपर यूनिट को बंद करने की मांग को लेकर प्रदर्शन में 13 लोगों की मौत हो गई थी जिसकी वजह से तमिलनाडु सरकार बैकफुट पर आ गई थी और आनन-फानन में स्टरलाइट कॉपर प्लांट को बंद करने के आदेश दे दिए.
एनजीटी ने इस मामले में सुनवाई करते हुए तमिलनाडु सरकार से यह भी पूछा कि प्लांट को बंद करने का फैसला किस रिपोर्ट के आधार पर लिया गया था. अगर प्लांट से प्रदूषण हो रहा था तो फिर सरकार और उससे जुड़ी एजेंसियों में इस प्लांट को लोगों के प्रदर्शन से पहले बंद क्यों नहीं कराया. साथ ही स्टरलाइट कॉपर से पूछा कि उसके प्लांट को शुरू करने की इजाजत क्यों दी जानी चाहिए.