
मानव तस्करी के मामलों पर रोकथाम के लिए केंद्र सरकार अहम फैसला लेने पर विचार कर रही है. सूत्रों के मुताबिक आतंकवाद निरोधक एजेंसी (NIA) को मानव तस्करी के मामलों की जांच का अधिकार दिया जा सकता है.
इस संबंध में गृह मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय सहित विभिन्न हितधारकों के बीच करीब साल भर से विचार विमर्श चल रहा है. सूत्रों ने बताया कि NIA को यह अतिरिक्त जिम्मेदारी पिछले साल प्रस्तावित मानव तस्करी विरोधी कानून के तहत दी जाएगी.
इस कदम के लिए NIA को जन्म देने वाले कानून- राष्ट्रीय जांच अधिनियम, 2008- में संशोधन करने की भी जरूरत होगी.
सूत्रों ने बताया कि मानव तस्करी मसौदा (निरोध, सुरक्षा एवं पुनर्वास) विधेयक, 2016 में मानव तस्करी के मामलों को लेकर निरोध, जांच तथा पीड़ितों की सुरक्षा के लिए मानव तस्करी से संबंधित राष्ट्रीय ब्यूरो गठित करने का प्रस्ताव था.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, "गृह मंत्रालय चाहता है कि एनआईए मानव तस्करी के मामलों की जांच करे और हमने इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है. गृह मंत्रालय भी मसौदा विधेयक के लिए अपनी मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री कार्यालय से हरी झंडी मिलने के बाद मंत्रिमंडल का एक नोट जारी किया जाएगा."
एक अन्य अधिकारी ने बताया, "एनआईए का एक प्रकोष्ठ मानव तस्करी के मामलों की जांच कर सकता है."
केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद मसौदा विधेयक संसद में पेश किया जाएगा. NGO 'शक्ति वाहिनी' के प्रमुख रविकांत ने कहा, "स्थानीय पुलिस एजेंसियों के अंतरराज्यीय या सीमा पार अपराधों की जांच करने में सक्ष्म न होने के कारण मानव तस्करों को छूट मिली हुई है. हमें एक नोडल एजेंसी चाहिए, क्योंकि तस्करी के 80 से 90 प्रतिशत तक मामले एक से दूसरे राज्यों में फैले हैं."