Advertisement

EXCLUSIVE सुंजवां कैंप हमला: NIA जांच ने दिए सेना की ओर से सुरक्षा में चूक होने के संकेत

कैम्प की सुरक्षा की जिम्मेदारी जम्मू एंड कश्मीर लाइट इन्फैंट्री की 36 ब्रिगेड के जवानों पर थी, जिनकी ओर से सुरक्षा की ये बड़ी चूक हुई. कैम्प पर हमला करने वाले आतंकियों ने 10 फरवरी को सुबह 4 बजे गहरे अंधकार का फायदा उठाते हुए सुरक्षा में सेंध लगाई और कैम्प में घुसने में कामयाब रहे.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
अंकुर कुमार/खुशदीप सहगल/कमलजीत संधू
  • नई दिल्ली,
  • 28 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 9:34 PM IST

जम्मू में सेना के सुंजवां कैंप पर आतंकी हमले के दौरान जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकवादियों ने कम से कम दो जगह सुरक्षा में सेंध लगाई थी. ये सेंध कैंप के चारों तरफ स्थित 10-12 फीट की दो दीवारों में लगाई गई. सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय जांच एजेंसी की जांच में सुरक्षा की इन खामियों का हवाला दिया गया है.

कैंप की सुरक्षा की जिम्मेदारी जम्मू एंड कश्मीर लाइट इन्फैंट्री की 36 ब्रिगेड के जवानों पर थी, जिनकी ओर से सुरक्षा की ये बड़ी चूक हुई. कैम्प पर हमला करने वाले आतंकियों ने 10 फरवरी को सुबह 4 बजे गहरे अंधेरे का फायदा उठाते हुए सुरक्षा में सेंध लगाई और कैंप में घुसने में कामयाब रहे. सूत्रों के मुताबिक आतंकियों ने पहले कैम्प की रेकी कर दीवारों में सेंध लगाने वाली जगहों की पहचान की होगी. दीवारों की ऊंचाई को लांघना आसान नहीं था, लेकिन दीवार में किसी गैप का फुटहोल्ड की तरह इस्तेमाल कर संभवत: सुरक्षा में सेंध लगाई गई. कैंप के पास ही कंटीली तार भी कटी पाई गई. ये भी सुरक्षा में चूक की ओर संकेत देता है.

Advertisement

पहले ये माना जा रहा था कि आतंकी कैम्प के पीछे की दिशा वाली दीवार से अंदर घुसे, जहां दीवार के कुछ क्षतिग्रस्त हिस्से को टीन की चादरों से ढांक कर रखा गया था. पहली और दूसरी दीवार के बीच 150 मीटर का फासला था, जहां जमीन पर घास उगी हुई थी. सूत्रों के मुताबिक जांच में पाया गया कि बाहरी दीवार पर कोई सुरक्षा नहीं थी. इस जमीन पर सेना को कब्जा उस जमीन के बदले दिया गया था जो कुछ साल पहले नए जम्मू एयरपोर्ट की बिल्डिंग के लिए ली गई थी. सेना की ओर से बाहरी दीवार को सुरक्षा प्रहरियों की निगरानी चौकियों से सुरक्षित नहीं किया गया था.   

सूत्रों ने बताया कि सेना के कैम्प में घुसने के बाद आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. NIA टीम इंटेलीजेंस एजेंसियों की ओर से दिए गए सुरागों के आधार पर काम कर रही है. आतंकियों की पहचान पाकिस्तानी नागरिकों के तौर पर हुई जिनके नाम कारी मुश्ताक, मुहम्मद आदिल और राशिद थे. तीनों के शवों के फोटोग्राफ लिए गए. ये आतंकी सैनिकों की पोशाक में कैम्प में घुसे थे और एके-56 राइफलों और बैरल ग्रेनेड लॉन्चर से लैस थे.

Advertisement

सूत्रों के मुताबिक आतंकियों के पास सफेद पाउडर जैसी कोई चीज भी थी जिसे फॉरेन्सिक जांच के लिए भेजा गया है. NIA का कहना है कि आतंकियों के पास सीमित मात्रा में सामान होना ये बताता है कि वो कई महीने पहले ही भारत में घुसपैठ कर चुके थे. सूत्रों ने आतंकवादियों को स्थानीय स्तर पर मदद मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया है. आतंकियों के शव के पास से किसी तरह की जीपीएस डिवाइस या मैट्रिक्स शीट नहीं मिली. लेकिन इसकी पूरी संभावना है कि पहले से कैम्प की आतंकियों की ओर से रेकी की गई.

राज्य के बीजेपी नेताओं ने जैसा आरोप लगाया था कि हमले में रोहिंग्या मुस्लिमों की संभावित भूमिका हो सकती है, इस एंगल की जांच होना अभी बाकी है. एक अधिकारी ने कहा, जांच अभी शुरुआती स्टेज में है. इस संबंध में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा.

सूत्रों ने बताया कि इस हमले में और 2016 में नगरोटा में सेना के कैम्प पर हुए हमले में समानता है. दोनों कैम्पों की दूरी अंतर्राष्ट्रीय सीमा और एलओसी से काफी है. ये तथ्य आतंकियों को स्थानीय स्तर पर मदद मिलने की ओर संकेत करता है.

सेना ने संदेह जताया था कि आतंकवादियों ने उस इलाके से घुसपैठ की हो सकती है जहां बीएसएफ की ओर से निगरानी की जाती है. हालांकि बीएसएफ सूत्रों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया था. सुंजवां कैम्प पर 10 फरवरी को हुए हमले में सेना के 6 जवान शहीद हो गए थे. एक नागरिक की भी इस हमले में मौत हुई थी. हमले में महिलाओं और बच्चों समेत 11 लोग घायल भी हुए थे. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement