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सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को निकाह हलाला, बहुविवाह और मिसियार जैसी इस्लामिक प्रथाओं के खिलाफ याचिकाएं दाखिल की गईं जिसपर कोर्ट जल्द ही सुनवाई करेगा. वहीं, केंद्र सरकार भी इस मसले में जल्दी ही हलफनामा दाखिल करेगी.
माना यह भी जा रहा है कि केंद्र सरकार तीन तलाक की तरह ही इन रिवाजों का भी अदालत में विरोध करेगी. लेकिन इस्लामिक विद्वान और मुस्लिम समाज का एक तबका शरिया कानून में और अपने रीति रिवाजों में किसी भी तरह के दखल का विरोध कर रहा है.
दरअसल, निकाह हलाला और बहुविवाह को कानूनी रूप से समाप्त करने को लेकर पीड़ित समीना बेगम ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई. समीना का आरोप है कि उसे जान से मारने की धमकियां भी दी जा रही हैं. ऐसे में अदालत में दी गई चुनौती को लेकर इस्लामिक विद्वान डॉ. संजय खान ने आजतक से बातचीत में कहा कि कुरान निकाह हलाला के गलत इस्तेमाल के खिलाफ है और उसकी इजाजत नहीं देता.
डॉक्टर खान का कहना है कि कुरान में बहुविवाह और निकाह हलाला की गुंजाइश दरअसल पीड़ित महिलाओं को इंसाफ और बेहतर जीवन दिलाने के लिए की गई थी और जिसके गलत इस्तेमाल की इजाजत खुद कुरान भी नहीं देता. ऐसे में सरकार या न्यायपालिका का इस्लामिक रीति-रिवाजों में दखल देना उचित नहीं है.
डॉक्टर खान का कहना है कुरान में पहले ही सारे नियम कानून साफ तौर पर लिखे गए हैं, ऐसे में कानून और सरकार का दखल उचित नहीं होगा. वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इस्लामिक और शरिया कानून में किसी भी तरह की दखलंदाजी का विरोध किया है.
हाल ही में इंडिया टुडे ने भी एक स्टिंग ऑपरेशन के जरिए यह दिखाया था कि कैसे निकाह हलाला के नाम पर जिस्मफरोशी और पैसों का खुला खेल होता है. इंडिया टुडे के ऑपरेशन में कई सारे मौलवी और मौलाना कैमरे पर पैसे लेकर निकाह हलाला के लिए राजी होते दिखाई पड़े थे. ऐसे में इस मामले के अदालत की चौखट पर पहुंचने के बाद एक बार फिर विवाद खड़ा होता दिखाई दे रहा है.