
लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी संघर्ष के अलावा भी कई चीजें होती रहती हैं. कुछ दिन पहले ऐसी खबर आई थी कि देश का एक संसदीय क्षेत्र ऐसा भी है जहां पर इस बार ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से मतदान होगा, लेकिन अब चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि यहां पर भी बैलेट की जगह ईवीएम के जरिए ही मतदान कराया जाएगा.
हम जिस संसदीय क्षेत्र की बात कर रहे हैं वो है तेलंगाना राज्य का निजामाबाद लोकसभा. इस बार निजामाबाद लोकसभा पर रिकॉर्ड 185 उम्मीदवार मैदान में हैं. इतनी बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को देखते हुए माना जा रहा था कि वहां पर चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाएंगे और खुद तेलंगाना राज्य के मुख्य कार्यकारी ने निजामाबाद लोकसभा क्षेत्र के लिए बैलेट पेपर से मतदान की बात कही थी.
लेकिन अब चुनाव आयोग ने निजामाबाद सीट पर भी ईवीएम के जरिए मतदान कराने का फैसला लिया है. चुनाव आयोग के आला अधिकारियों ने राज्य प्रशासन के साथ इस संबंध में अहम बैठकें कीं जिसमें हर बूथ पर रिकॉर्ड 4-4 ईवीएम के इस्तेमाल का फैसला लिया गया. निजामाबाद में इस बार चुनाव बेहद खास हो गया है क्योंकि मैदान में 185 उम्मीदवार हैं जिसमें हर बूथ पर चार ईवीएम यूनिट लगाए जाएंगे.
निजामाबाद में अब हर एक बूथ पर रिकॉर्ड चार-चार ईवीएम का इस्तेमाल किए जाने को लेकर निर्वाचन आयोग ने तो सहजता से इंतजाम तो कर दिए हैं, लेकिन मतदाताओं को अपने पसंदीदा उम्मीदवार का नाम या फोटो तलाशने में खासी मशक्कत करनी होगी. तेलंगाना की सभी लोकसभा सीटों पर 11 अप्रैल को ही मतदान होना है.
सीनियर उपचुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा की अगुवाई में गई निर्वाचन आयोग की टीम ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सहित यहां के चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी और अन्य प्रशासनिक चुनाव अधिकारियों के साथ बैठकर हालात का जायजा लिया.
चुनाव आयोग निजामाबाद के रिटर्निंग अफसर यानी निर्वाचन अधिकारी को मतदान इंतजाम की समुचित निगरानी के लिए हेलिकॉप्टर मुहैया कराएगा. चुनाव आयोग से साथ सोमवार और मंगलवार को चली बैठक में राज्य के अन्य क्षेत्रों में होने वाले चरणबद्ध तरीके से मतदान कराने और इंतजाम पर भी विस्तार से चर्चा की गई. अधिकारियों ने चुनावी तैयारियों पर संतुष्टि जताई.
निजामाबाद लोकसभा सीट का इतिहास देखें तो यहां पर ज्यादा उम्मीदवारों के मैदान में उतरने की परपंरा रही है. 1996 और 2010 में भी यहां पर बैलेट के जरिए मतदान कराया गया था. पिछले पंचायत चुनाव में भी बैलेट का इस्तेमाल किया गया था.