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महिला आरक्षण पर पासवान बोले- राहुल पहले SP-RJD को राजी करें

पासवान ने कहा कि महिला आरक्षण पर पहले आप लोग एकमत हो जाइये फिर बताइये. महिला आरक्षण बिल पहले ही आ गया होता अगर सपा और आरजेडी ही आरक्षण के अंदर आरक्षण की मांग न करते तो. कांग्रेस की बिना शर्त समर्थन पर क्या मुलायम सिंह यादव राजी हैं, अगर हैं तो बताएं.

रामविलास पासवान रामविलास पासवान
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 20 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 7:12 PM IST

मोदी सरकार में मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के अध्यक्ष रामविलास पासवान ने कहा कि कांग्रेस महिला आरक्षण पर बिना शर्त का समर्थन देने की बात कर रही है, लेकिन जरा अपने सहयोगी दलों से बात कर लें. सपा और आरजेडी क्या बिना शर्त महिला आरक्षण पर राजी हैं. इसके अलावा पासवान ने मायावती पर निशाना साधते हुए कहा कि वो दो तरह की बातें करती हैं. सत्ता में रहने पर कुछ और विपक्ष में रहने पर कुछ.

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पासवान ने कहा कि महिला आरक्षण पर पहले आप लोग एकमत हो जाइये फिर बताइये. महिला आरक्षण बिल पहले ही आ गया होता अगर सपा और आरजेडी ही आरक्षण के अंदर आरक्षण की मांग न करते तो. कांग्रेस की बिना शर्त समर्थन पर क्या मुलायम सिंह यादव राजी हैं, अगर हैं तो बताएं.

पासवान ने बसपा अध्यक्ष मायावती को निशाने पर लेते हुए कहा कि सत्ता में रहती हैं तो कुछ बातें करती हैं और विपक्ष में रहते हुए कुछ. दो तरह की बातें नहीं करनी चाहिए. 2007 में सत्ता में रहते हुए मायावती ने खुद ही कहा था कि SC/ST एक्ट को लेकर गलत इस्तेमाल होता है. एसएसपी के जांच बाद ही SC/ST एक्ट लगाया जाना चाहिए. अब जब यही बात सुप्रीम कोर्ट ने कही तो वे विरोध करने वाले लड़कों के साथ खड़ी हैं.

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पासवान ने कहा कि मायावती 2007 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आईं तो उन्होंने कहा कि दलित एक्ट के क्रियान्वयन में सावधानी बरती जाए. कभी-कभी दबंग व्यक्ति के इशारे पर इस एक्ट का दुरुपयोग होता है. ऐसे में एसएसपी के जांच के बाद ही SC/ST एक्ट लगाया जाना चाहिए. इतना ही नहीं उन्होंने दलित महिला के साथ हुए बलात्कार मामले पर कहा था कि डॉक्टर के मेडिकल की रिपोर्ट के बाद एक्ट लगाया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने जब यही बात कही तो वे विरोध में खड़ी हैं.

पासवान ने कहा कि मायावती हमेंशा तो तरह की बातें करती हैं. अंदर कुछ बाहर कुछ और सत्ता में रहते हुए कुछ और विपक्ष में कुछ. पासवान ने मायावती के पुराने नारों की याद दिलाई कि कैसे सत्ता में आने से पहले उनके राजनीतिक नारे कुछ और होते थे और सत्ता में आने के बाद कैसे उनके नारे बदलते चले गए.

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