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अविश्वास प्रस्ताव पर शिवसेना की दूरी का क्या होगा असर, ये हैं सदन के आंकड़े

मौजूदा स्थिति में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन हासिल होना चाहिए. कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी, एसपी, आरजेडी के अलावा लेफ्ट पार्टियों ने अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है.

लोकसभा की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित लोकसभा की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित
जावेद अख़्तर
  • ,
  • 19 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 12:24 PM IST

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चार साल से चल रही एनडीए सरकार को पहली बार झटका लगता दिखाई दे रही है. सहयोगी दलों की भारतीय जनता पार्टी से नाराजगी खुलकर सामने आ गई है. और ये गुस्सा अब सदन में अविश्वास प्रस्ताव के रूप में भी फूट रहा है. तेलुगु देशम पार्टी ने लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया.

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टीडीपी के अविश्वास प्रस्ता को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने समर्थन दिया है. लेकिन आज भी लोकसभा की कार्रवाही कल तक के लिए स्थगित हो गई, जिसके चलते अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सका. मगर, इस बीच शिवसेना ने बड़ा ऐलान किया है. शिवसेना ने प्रस्ताव पर वोटिंग में शामिल न होने का फैसला किया है. यानी अविश्वास प्रस्ताव आने शिवसेना मोदी सरकार का बचाव नहीं करेगी.

दरअसल, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न देने की मांग पर चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के कोटे से केंद्र में दोनों मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से वो लगातार संसद में मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं. अब जब टीडीपी ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की तो उसे विरोधी वाईएसआर कांग्रेस समेत कांग्रेस, आरजेडी और लेफ्ट समेत दूसरे कई दलों का भी समर्थन मिल गया.

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ये है सदन का समीकरण

इस वक्त लोकसभा में कुल 539 सदस्य हैं. इस लिहाज से बहुमत का आंकड़ा 270 होता है. बीजेपी के अपने सदस्य 274 हैं. यानी वो अपने दम पर बहुमत पाने की हैसियत में है. लेकिन बीजेपी के 274 के आंकड़े में तीन पेंच भी हैं. शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद और श्यामाचरण गुप्ता बीजेपी के तीन ऐसे सांसद हैं, जो करीब-करीब हर मोर्चे पर पार्टी के खिलाफ खड़े नजर आते हैं. ऐसे में अगर ये तीनों वोटिंग में शामिल नहीं होते और इनके अलावा एक और वोट इधर उधर हुआ तो फिर बीजेपी को सहयोगी दलों का मुंह देखना पड़ सकता है.

अविश्वास प्रस्ताव के लिए 50 वोट की जरूरत

टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया है. मौजूदा स्थिति में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन हासिल होना चाहिए. जो टीडीपी ने हासिल कर लिया है. अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेस, टीएमसी, एसपी, आरजेडी के अलावा लेफ्ट पार्टियों समेत दूसरे बीजेपी विरोधी दलों ने भी समर्थन देने का ऐलान कर दिया है. हालांकि, सरकार को भरोसा है कि ये प्रस्ताव आसानी से गिर जाएगा.

अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट

वाईएसआर कांग्रेस- 09

टीडीपी- 16

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कांग्रेस- 48

टीएमसी- 34

सपा- 07

आरजेडी- 04

लेफ्ट- 11

यानी मौजूदा स्थिति में अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में कई विपक्षी दलों के 129 सांसद खड़े नजर आ रहे हैं. हालांकि, बीजेडी ने इस प्रस्ताव को समर्थन नहीं दिया है.

सरकार को संकट नहीं

अविश्वास प्रस्ताव आने के बावजूद बीजेपी को किसी तरह का कोई संकट नहीं है. लोकसभा में उसे सरकार चलाने के लिए जरूरी बहुमत हासिल है.

बीजेपी- 274

शिवसेना- 18

एलजेपी- 06

अकाली दल- 04

आरएलएसपी- 03

जेडीयू- 02

अन्य- 07

एनडीए के सांसदों की संख्या फिलहाल 314 है. लेकिन शिवसेना ने वोटिंग से खुद को दूर कर लिया है. ऐसे में सरकार चलाने में तो मोदी को कोई संकट नहीं आने वाला है. सरकार को पर्याप्त संख्याबल होने के चलेत अविश्वास प्रस्ताव गिरने का पूरा विश्वास है, लेकिन मौजूदा सरकार के लिए सहयोगी दलों की ये नाराजगी एक झटका बनकर उभरी है.

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