
देवास की एक अदालत ने चर्चित सुनील जोशी हत्याकांड के मामले में बुधवार को साध्वी प्रज्ञा और सात अन्य आरोपियों को बरी कर दिया है. अपने जीवन का लंबा समय RSS के प्रचारक के रूप में गुजारने वाले सुनील जोशी की 29 दिसंबर, 2007 को देवास के चुना खदान इलाके में स्थित उनके आवास से कुछ ही मीटर दूरी पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
जोशी की हत्या के अगले ही दिन एक खास समुदाय को निशाने पर ले लिया गया और एक परिवार के चार सदस्य मार डाले गए, क्योंकि जोशी के करीबियों ने उनकी हत्या को सांप्रदायिक रंग दे दिया था. बाद में यह शंका सामने आई कि जोशी के उनके कुछ सहयोगियों ने ही खत्म कर दिया, ताकि उस भगवा आतंकवाद की सुबूत की एक कड़ी खत्म हो जाए, जिसके समझौता एक्सप्रेस बम विस्फोट सहित कई मामलों में लिप्त होने के आरोप थे.
साध्वी प्रज्ञा सिंह पर आरोप था कि वह भी इस भगवा आतंकवादी नेटवर्क का महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं और बाद में सुनील जोशी हत्या में उनकी कथित भूमिका को लेकर उन्हें गिरफ्तार भी किया गया.
एनडीए की सरकार आते ही बदल गया सीन
साल 2011 में सुनील जोशी हत्या मामले को NIA को सौंप दिया गया, जिसने इस मामले के अभिनव भारत से जुड़े आतंकवाद के मामले से जुड़ाव के बारे में जांच की. साल 2014 में एनडीए के सत्ता में आने के कुछ ही महीनों के भीतर एनआईए ने सुनील जोशी हत्याकांड मामले में भोपाल की स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया, जिसमें इस मामले की दक्षिणपंथी आतंकी समूहों की किसी तरह से जुड़ाव को खारिज किया गया.
सितंबर 2014 में यह मामला देवास कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया गया और इसके एक साल बाद कोर्ट ने देवास पुलिस द्वारा पहले किए गए जांच के आधार पर साध्वी प्रज्ञा और सात अन्य लोगों के खिलाफ आरोप तय किए.
लेकिन बुधवार के अदालत के आदेश से नौ साल से चल रहे सुनील जोशी मर्डर केस के मामले में अब भी रहस्य पहले जैसा ही बरकरार है. अब तो यही लगता है कि सुनील जोशी को किसी ने नहीं मारा है-कम से उन लोगों ने तो नहीं जिन पर आरोप लगाया गया था.