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केरल सरकार ने सबरीमाला में प्रवेश की इच्छुक महिला कार्यकर्ताओं से बनाई दूरी

केरल में सबरीमाला मंदिर के द्वार 16 नवंबर को खुलेंगे और इसी के साथ मंडला पूजा की शुरुआत होगी. तीर्थयात्री पहले से ही मंदिर पहुंचने की तैयारियां करने लगे हैं.

16 नवंबर को खुलेगा सबरीमाला मंदिर 16 नवंबर को खुलेगा सबरीमाला मंदिर
शालिनी मारिया लोबो
  • तिरुवनंतपुरम,
  • 15 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:22 PM IST

  • कोर्ट ने सबरीमाला फैसले पर ​पुनर्विचार ​याचिका को बड़ी बेंच के पास भेजा
  • पहले कोर्ट ने कहा था कि मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को जाने दिया जाए

केरल में सबरीमाला मंदिर के द्वार 16 नवंबर को खुलेंगे और इसी के साथ मंडला पूजा की शुरुआत होगी. तीर्थयात्री पहले से ही मंदिर पहुंचने की तैयारियां करने लगे हैं. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला फैसले पर ​पुनर्विचार ​याचिका को बड़ी बेंच के पास भेज दिया. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब यह देखना है कि मंदिर में महिलाओं को प्रवेश मिलता है या नहीं.

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शुक्रवार को जिम्मेदारी संभालने वाले त्रावणकोर देवासम बोर्ड के अध्यक्ष एन वसु ने इंडिया टुडे से कहा कि जो लोग कानूनी रूप से मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं, उन्हें रोका नहीं जाएगा.

एन वसु ने कहा, "28 सितंबर, 2018 को आए महिलाओं के मंदिर प्रवेश संबंधी आदेश पर कोई स्टे नहीं है. हम किसी को नहीं रोक रहे. कानूनी रूप से जो भी जाने के हकदार हैं, वे जा  सकते हैं. हम किसी को नहीं रोकेंगे. आदेश पर हमें और स्पष्टता की जरूरत है. हमने कानूनी विशेषज्ञों की सलाह की मांग की है. यह दो दिनों में हमें मिल जाएगी, बोर्ड इस पर भी गौर कर रहा है."

2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश करने दिया जाए, इसे लेकर भारी विरोध प्रदर्शन हुआ था. इसे देखते हुए सरकार और पुलिस ने एहतियाती कदम उठाए हैं. सांबीमाला क्षेत्र के पम्बा, नीलकाल और इरूमेली में 10,017 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.

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इस मामले में दायर पुनर्विचार याचिका गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बेंच में भेज दी, इसके बाद केरल के मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश चाहे जो भी हो, सरकार उसका पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में कानूनी विशेषज्ञों की राय पर भी गौर किया जाना चाहिए.

हालांकि, पिनराई विजयन सरकार के मंत्रिमंडल में ज्यादातर मंत्रियों की राय है कि कानून व्यवस्था को बनाए रखना चाहिए और महिला कार्यकर्ताओं को मंदिर से दूर रखा जाना चाहिए. सूत्रों ने हमें यह भी बताया कि इस साल जो महिला कार्यकर्ता सबरीमाला जाना चाहती हैं, पुलिस उनको सुरक्षा प्रदान नहीं करेगी. केरल सरकार के मंत्री सुनील कुमार ने कहा, "मंदिर राजनीतिक गतिविधियों में लिप्त होने की जगह नहीं है. हमारी प्राथमिकता इलाके में कानून व्यवस्था बनाए रखने की है."

बीजेपी की केरल इकाई राज्य सरकार के रुख का इंतजार कर रही है और वाम सरकार से अपील की है कि जो महिलाएं मंदिर में जाना चाहती हैं उन्हें सुरक्षा देकर प्रवेश नहीं कराया जाए. केरल बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष के राजशेखरन ने कहा, "हमें एक बार यह पता चल जाए कि राज्य सरकार का रुख क्या है, इसके बाद हम चर्चा करके तय करेंगे कि हमारा अगला कदम क्या होगा."

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