एनआरसी के खिलाफ जो लोग नहीं जा पाए ट्रिब्यूनल, अब भी उनके पास मौका
गृह मंत्रालय ने हाल ही में कहा कि विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1964 को संशोधित करते हुए कहा कि सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश विदेशी प्राधिकरण स्थापित करेंगे. 2019 में संशोधित आदेश में प्रत्येक व्यक्ति को ट्रिब्यूनल के समक्ष अपनी बात रखने की शक्ति प्रदान की गई. इससे पहले राज्य सरकार ही किसी संदिग्ध के खिलाफ ट्रिब्यूनल में जा सकती थी.
गृह मंत्रालय ने हाल ही में कहा कि विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1964 को संशोधित करते हुए कहा कि सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश विदेशी प्राधिकरण स्थापित करेंगे. 2019 में संशोधित विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश में प्रत्येक व्यक्ति को ट्रिब्यूनल के समक्ष अपनी बात रखने की शक्ति प्रदान की गई. इससे पहले राज्य सरकार ही किसी संदिग्ध के खिलाफ ट्रिब्यूनल में जा सकती थी लेकिन अंतिम NRC प्रकाशित होने के साथ ही इसमें जिन व्यक्तियों का नाम शामिल नहीं है. उनको यह मौका दिया जाएगा कि वह इसके खिलाफ ट्रिब्यूनल में जा सकते हैं. प्राधिकरण यह तय करेगा कि अवैध रूप से निवास करने वाला व्यक्ति विदेशी है या नहीं. इससे पहले प्राधिकरण स्थापित करने की शक्ति केवल केंद्र के पास थी.
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इसके अलावा गृह मंत्रालय ने विदेशी न्यायाधिकरण की कार्यप्रणाली को लेकर कई नए संशोधन भी किए हैं. मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि चूंकि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का काम केवल असम में चल रहा है, इसलिए, 30 मई, 2019 को जारी किया गया उक्त आदेश सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए केवल असम में लागू है. केंद्र सरकार ने विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1964 को विदेशी अधिनियम,1946 की धारा तीन के तहत जारी किया था. यह पूरे देश में लागू है. साल 2013 में कई संशोधन किए गए. अंतिम संशोधन इस साल मई में हुआ. ये सभी आदेश पूरे देश में लागू है. आइए जानते हैं कि विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1964 में क्या बदलाव हुए हैं...
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को आधार बनाकर अवैध रूप से रह रहे विदेशी प्रवासियों की पहचान कर उन्हें देश से निकालने के दिशा-निर्देश
ये प्राधिकरण अर्द्ध-न्यायिक होते हैं. असम में ये निकाय यह सुनिश्चित करते हैं कि अवैध रूप से निवास कर रहा व्यक्ति विदेशी है या नहीं.
पुलिस किसी अवैध तरीके से रह रहे विदेशी व्यक्ति को गिरफ्तार करती है तो उसे स्थानीय अदालत में पेश करते है. उसे पासपोर्ट एक्ट 1920 या फॉरेनर एक्ट 1946 के तहत 3 महीने से 8 साल तक की जेल हो सकती है.
विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1964 के अनुसार, यह केंद्र सरकार को शक्ति प्रदान करता है कि वह प्राधिकरण से यह प्रश्न कर सकती है कि कोई व्यक्ति विदेशी अधिनियम, 1946 के अंतर्गत विदेशी है या नहीं एवं इस मामले पर राय भी ले सकती है.
गृह मंत्रालय ने इस आदेश को संशोधित कर केंद्र सरकार शब्द को प्रतिस्थापित करते हुए इसके स्थान पर केंद्र सरकार, राज्य सरकार, संघ शासित प्रदेश के प्रशासक, ज़िलाधिकारी शब्द जोड़े.
31 जुलाई 2019 को NRC की अंतिम रिपोर्ट के प्रकाशन से पहले अवैध प्रवासियों की जांच करने के लिए असम में करीब 1000 ट्रिब्यूनल्स स्थापित करने की मंजूरी दी है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, भारत के रजिस्ट्रार जनरल ने असम में भारतीय नागरिकों और अवैध रूप से प्रवासियों को अलग करने के लिए पिछले साल 30 जुलाई, 2018 को NRC की अंतिम मसौदा सूची तैयार की थी. इसमें उन लोगों की पहचान हुई जो 25 मार्च 1971 के बाद बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में घुसे थे.
इस मसौदे के तहत करीब 40 लाख लोगों को चिह्नित किया गया जो अवैध रूप से भारत में रह रहे है. इनमें से 36 लाख लोगों ने इस मसौदे के खिलाफ याचिका दायर की थी.
संशोधित आदेश जिलाधिकारियों को अनुमति देता है कि ऐसे व्यक्ति जिन्होंने NRC के खिलाफ ट्रिब्यूनल में कोई आपत्ति दर्ज़ नहीं की है, उन्हें लेकर जिलाधिकारी यह तय कर सकता है कि वह व्यक्ति विदेशी है या नहीं.