
असम की तरह अब बिहार में भी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) तैयार करने की मांग उठने लगी है. यह मांग बीजेपी के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने उठाई है. हालांकि, बीजेपी की मांग को सहयोगी जनता दल यूनाइटेड(जदयू) ने ठुकरा दी है. जदयू का कहना है कि असम में तैयार हुआ एनआरसी खामियों से भरा है. तमाम भारतीय अपने ही देश में मानो विदेशी बन गए हैं. ऐसे में बिहार में भी तमाम लोगों को इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है.
दरअसल, बीजेपी के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने ट्वीट कर कहा, " बिहार के सीमांचल जिलों, विशेषकर कटिहार ,पूर्णिया ,किशनगंज,में आबादी जिस रफ़्तार से बढ़ी है और जनसंख्या का संतुलन बिगड़ा है वह चिंताजनक है. स्वार्थी राजनीतिज्ञ वोट की लालच में इसे ख़ारिज कर रहे हैं. बड़ी संख्या में बांग्लादेशी ज़मीन ,रोज़गार, व्यापार पर क़ाबिज़ हैं NRC आवश्यक है."
उधर, जनता दल यूनाइटेड के महासचिव केसी त्यागी ने बीजेपी नेता की मांग पर आपत्ति जाहिर की. उन्होंने कहा कि असम में तैयार हुई सूची पर खुद वहां की बीजेपी सरकार ने आपत्ति की है. एनआरसी संपूर्ण सत्य नहीं है. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय भी साफ कर चुका है कि एनआरसी सूची से बाहर होने पर ही किसी को बाहर नहीं भेजा जाएगा.
केसी त्यागी से पूर्व जदयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर भी इसका विरोध कर चुके हैं. 31 अगस्त को एनआरसी के प्रकाशन के बाद उन्होंने एक सितंबर को ट्वीट कर एनआरसी का विरोध किया था. तब उन्होंने ट्वीट कर कहा था, "एनआरसी ने अपने देश में ही लाखों लोगों को विदेशी बना दिया. जब राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित जटिल मुद्दों की चुनौतियों पर ध्यान दिए बगैर गलत राजनीतिक समाधान तलाशा जाता है तो लोग उसकी कीमत चुकाते हैं."