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NRC पर संसद के बाहर भिड़े मंत्री और कांग्रेस MP, देखें VIDEO

इस मुद्दे पर बयानबाजी तेज हो रही है. विपक्ष ने सरकार को घेरा है तो वहीं बीजेपी भी आक्रामक रूप से इस मुद्दे को भुनाने में लगी है.

सदन के बाहर भिड़े मोदी के मंत्री और कांग्रेस MP सदन के बाहर भिड़े मोदी के मंत्री और कांग्रेस MP
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 2:27 PM IST

असम में NRC के मुद्दे पर देश की राजनीति गर्म हो गई है. मंगलवार को इस मुद्दे पर संसद में जमकर हंगामा हुआ तो वहीं सदन के बाहर भी ये मुद्दा चर्चा में बना रहा. सदन के बाहर मोदी सरकार में मंत्री अश्विनी चौबे और कांग्रेस के सांसद प्रदीप भट्टाचार्य NRC के मुद्दे पर भिड़ गए.

दोनों नेता मीडिया के सामने इस बात पर चर्चा कर रहे थे, लेकिन इसी दौरान ये चर्चा तीखी बहस में बदल गई. बहस में प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि मैं बंगाल का आदमी हूं, लगातार असम जाता रहता हूं. आप लोग उनके बारे में गलत बात कर रहे हैं.

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इस पर मोदी सरकार में मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि मैं भी बिहार से हूं मुझे वहां के हालात पता हैं. आप कौन होते हैं, ये बोलने वाले. जिसपर कांग्रेस नेता ने तुरंत जवाब दिया कि वह मेंबर ऑफ पार्लियामेंट हैं और बोल सकते हैं.

इस दौरान दोनों नेता जोर-जोर से अपनी बात कहने लगे. अश्विनी चौबे ने कहा कि जो भारतीय है और इस देश का नागरिक है, वही इस देश में रहेगा. जो बांग्लादेशी है वह इस देश में बिल्कुल नहीं रहेगा. दोनों नेताओं में हुई गर्मागर्म बहस के बीच सदन के बाहर मीडियाकर्मियों और अन्य लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई.

सदन में शाह ने दिया जवाब

असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का दूसरा ड्राफ्ट सोमवार को जारी किया गया. इसके बाद से ही इस मुद्दे पर राजनीति तेज हो गई है. मंगलवार को इस मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा हुई और जमकर हंगामा हुआ. चर्चा के दौरान जैसे ही भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह इस मुद्दे पर बोले वैसे ही सदन में हंगामा शुरू हो गया. शाह ने आरोप लगाया कि ये पहले ही लागू होना चाहिए था, लेकिन आपमें ऐसा करने की हिम्मत नहीं थी.

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बता दें कि असम में बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम मसौदा सोमवार को जारी कर दिया गया. असम देश में एक मात्र ऐसा राज्य है जहां एनआरसी जारी किया गया है, जिसमें पूर्वोत्तर राज्य के कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम हैं. जबकि करीब 40 लाख लोग अवैध पाए गए हैं. 

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