
अतिथि देवो भव:..! लेकिन आप क्या पहनकर आएं ये हमारे पर्यटन मंत्री महेश शर्मा तय करेंगे. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि उनकी हाल ही में दी गई सलाह से ऐसा लग रहा है. केंद्रीय मंत्री ने पर्यटकों को स्कर्ट न पहनने और रात के वक्त बाहर न घूमने की नसीहत दी है.
मंत्री महेश शर्मा जी मैं आपको अपनी जिंदगी के कुछ ऐसे किस्से बताना चाहती हूं जब मुझे स्कर्ट पहनकर कभी अटपटा महसूस नहीं हुआ. मेरे गृहनगर मुज़फ्फरनगर के कस्बे खतौली से लेकर राजस्थान, हिमाचल और कई अन्य छोटे बड़े शहरों में जब मैंने स्कर्ट पहनी थी तब कभी ऐसा नहीं लगा कि कभी कोई माननीय मंत्री इस ड्रेस को न पहनने की सलाह भी दे सकते हैं. मंत्रीजी ये हैं वो सात वाकये जब स्कर्ट पहनकर मैं निकली घर से बाहर.
1. जनाब, जिस स्कूल से मैं पढ़ी हूं वहां हमारी ड्रेस में स्कर्ट शामिल थी. तब हमें स्कर्ट को लेकर कभी अनकंफर्टेबल महसूस नहीं हुआ.
2. मुझे याद है खतौली के मेले में स्कर्ट पहनकर खिंचवाई मेरी वो फोटो जिसमें फोटोग्राफर ने मेरे हाथ में फूलों का एक गुलदस्ता थमा दिया था. मेरी उम्र उस वक्त तकरीबन 14 साल रही होगी. यकीन मानिए पूरा मेला मैंने उसी स्कर्ट में घूमा था वो घुटनों तक लंबी मेरी खाकी रंग की स्कर्ट और क्रीम टॉप.
3. जब राजस्थान के शहर जोधपुर घूमने गई और वहां जाकर ब्लॉक प्रिंट वाली लॉन्ग स्कर्ट पहनकर घूमने निकली तो कई महिलाओं को घाघरा पहने देखा जो मेरी स्कर्ट जैसा ही था. तब भी मुझे अलग महसूस नहीं हुआ था.
4. हिमाचल प्रदेश के मनाली में जब मेरी वो काली स्कर्ट उन स्थानीय महिलाओं की ऊनी स्कर्ट(दोहड़ू) से मैच कर रही थी तब मुझे उनमें से एक होने जैसा ही फील हुआ था.
5. रात के वक्त मेरठ के घंटाघर पर सब कजिन के साथ स्कूटी पर बैठकर लस्सी पीने जाने के वक्त स्कर्ट पहनना मुझे बिल्कुल नॉर्मल लगता था.
6. सहारनपुर में गुलशन वाले की आइसक्रीम तो अक्सर हम रात के 10 बजे के बाद ही खाने जाते हैं. कई बार लंबा इंतजार करना पड़ता है मेरी ही तरह कई और लड़कियां स्कर्ट पहने वहां लाइन में खड़ी नजर आती हैं.
7. अकसर शाम के वक्त ही पुरानी दिल्ली में अपनी फ्लोरल प्रिंट वाली स्कर्ट पहन कर जामा मस्जिद के पास बिकने वाले सीख कबाब और फीरनी का मजा लेने मैं कई बार वहां गई. भरोसा कीजिएगा कभी किसी तरह की कोई अप्रिय घटना भी नहीं घटी जो मैं वहां जाना छोड़ देती.