
बिटकॉइन के बढ़ते मूल्य को देखते हुए निवेशकों के बीच जहां इसके लिए क्रेज है, वहीं क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन के नाम पर देश में कई फर्जी संस्थाएं भी कुकुरमुत्ते की तरह उग आई हैं. ये स्थिति राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बार-बार दी जाने वाली चेतावनियों के बावजूद है. इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेटिव टीम ने अपनी जांच में क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर होने वाले सारे गोरखधंधे से पर्दा उठाया है.
हैरानी की बात ये है कि इस धंधे में लगे कुछ लोगों को सेलेब्रिटीज़, अमीर कारोबारियों तक का समर्थन हासिल है. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर झांसे का खेल खेलने वाले अधिकतर शातिर छुपे ढंग से इसे अनजान विदेशी इंटरनेट डोमेन्स के जरिए अंजाम दे रहे हैं. ये हकीकत कई शहरों में इंडिया टुडे की जांच से सामने आई है.
विचित्र बात है कि ये अंडरग्राउंड कारोबार भारत की वित्तीय और बैंकिंग रेग्युलेटर्स के रडार पर होने के बावजूद फल फूल रहा है. ये रेग्युलेटर्स डिजिटल करेंसी को लेकर कई बार चेतावनी दे चुके हैं.
इसी महीने के शुरू में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बिटकॉइन्स जैसी आभासी करेंसी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता जताई थी. जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा था, ‘सरकार क्रिप्टोकरेंसी को लीगल टेंडर या कॉइन नहीं मानती और ऐसे सारे कदम उठाए जाएंगे जिससे इनका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों को फाइनेंस करने में ना किया जा सके, साथ ही पेमेंट सिस्टम के हिस्से के तौर पर भी इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सके.’
इंडिया टुडे की जांच के दौरान ऐसे अनेक ट्रेडर्स का पता लगाया गया जो देश के अलग-अलग हिस्सों से इस गोरखधंधे को अंजाम देने में लगे हैं. ये बड़े-बड़े हवाई किले बांधने के साथ लोगों से अवैध डिजिटल संसाधन की अनेक किस्में उपलब्ध कराने के नाम पर निवेश की मांग करते हैं.
चार महीने पहले ही एक्टर सोहेल खान को ब्लू फॉक्स मोशन पिक्चर्स (प्राइवेट) लिमिटेड नाम के प्रोडक्शन हाउस की ओर से लॉन्च वर्चुअल कॉइन (आभासी मुद्रा) को प्रमोट करते देखा गया था. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लॉन्चिंग के दौरान कंपनी के एक डायरेक्टर को BFX नाम की क्रिप्टोकरेंसी के लिए सोहेल खान के नाम की बतौर को-डायरेक्टर घोषणा करते भी देखा गया.
इंडिया टुडे ने जब इस प्रॉडक्शन हाउस की इस ‘चमक-दमक’ की तह तक पहुंचने की कोशिश की तो कुछ और ही हकीकत सामने आई.
इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने ब्लू फॉक्स के नई दिल्ली स्थित ऑफिस का रुख किया तो वहां पाया कि ये सब काले धन को छुपाने के लिए वर्चुअल पार्किंग स्पेस उपलब्ध कराना और उससे भी खतरनाक निवेशकों को झांसा देकर उनसे पैसा ऐंठने वाली पॉन्जी स्कीम के अलावा कुछ नहीं था.
BFX डिजिटल कॉइन्स के कंपनी एजेंट विशाल ने अंडर कवर रिपोर्टर के सामने खुलासा किया कि इस प्रोजेक्ट का मकसद फिल्मों के निर्माण के लिए फाइनेंस जुटाना है, वो भी बिना किसी चेक और बैलेंस के.
विशाल ने कहा, ‘क्रिप्टोकरेंसी के लिए बहुत क्रेज है. आपको विभिन्न प्रोजेक्ट्स के लिए फाइनेंस की जरूरत होती है. बॉलीवुड के पास पहले उन फंड को जुटाने के लिए कोई कॉइन (डिजिटल) उपलब्ध नहीं थे. हर उद्योग, सेक्टर को विशेष कॉइन की आवश्यकता है, खास तौर पर ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के जरिए.’
विशाल ने फिर बताया कि उनकी कंपनी ने अपनी डिजिटल मनी को प्रमोट करने के लिए क्यों सोहेल खान जैसी सेलेब्रिटी को अपने साथ जोड़ा. विशाल ने कुबूल किया, ‘एक अकेली कंपनी एक हजार से दस हजार लोगों को उल्लू बना सकती है लेकिन जब इस तरह का कोई बड़ा सेलेब्रिटी ऑन द रिकॉर्ड हमारे साथ काम करता है तो लोग यही सोचते हैं कि उसने सोच-समझ कर ही ऐसा किया होगा, और वो उनसे ज्यादा ही सतर्क होगा.’
क्रिप्टोकरेंसी एजेंट ने अंडर कवर रिपोर्टर के सामने लेनदेन का कोई औपचारिक रिकॉर्ड देने से इनकार किया लेकिन निवेश पर बहुत मोटे रिटर्न की पेशकश की. एजेंट का कहना था कि एक BFX कॉइन जो फिलहाल 25 रुपए से भी कम पर उपलब्ध है, वो एक साल के अंदर ही 500 से 800 रुपए के बीच हो जाएगा.
विशाल ने दावा किया, ‘क्रिप्टोकरेंसी में लिखित में कुछ नहीं होता. आप मुझे पैसा देंगे, मैं आपके वॉलेट (डिजिटल) में कॉइन डाल दूंगा. सरकार को कुछ पता नहीं चलेगा, ये उनके सपनों में भी नहीं आएगा, ये ऑनलाइन है, ना दिखने वाला वॉलेट.’
इंडिया टुडे की ओर से BFX के असली गेमप्लान को बेनकाब किए जाने के बाद एक्टर सोहेल खान ने खुद का क्रिप्टोकरेंसी से किसी तरह का भी वास्ता नहीं होने का दावा किया. सोहेल ने कहा कि वो डिजिटल कॉइन्स से अब किसी भी तरह से नहीं जुड़े हैं और प्रोजेक्ट को एंडोर्स करने के बाद इससे पीछे हट गए थे. सोहेल ने इंडिया टुडे को बताया, ‘इन लोगों ने मुझसे शुरू में ब्रैंड अंबेसडर बनने के लिए संपर्क किया था. कुछ शेयर देने की पेशकश भी की थी. लेकिन एक-दो मीटिंग्स के बाद भी नहीं समझ सका कि क्रिप्टोकरेंसी आखिर है क्या? इसके बाद मैंने उनकी ऑफर को अस्वीकार करते हुए हाथ पीछे खींच लिया. संक्षिप्त में कहूं तो मेरा BFX क्रिप्टोकरेंसी से कोई लेना-देना नहीं है.’
इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने अपनी जांच के तहत फिर एक और क्रिप्टोकरेंसी का रुख किया. इस क्रिप्टोकरेंसी को हाल में एक रीयल-इस्टेट बिजनेस हाउस की ओर से नेशनल कैपिटल रीजन में लॉन्च किया गया था. इदरकैश नाम से इन डिजिटल कॉइन्स के भारत में आने से पहले मलेशिया में लेनदेन होता था. इदरकैश डिजिटल http://etherecash.io/ etherecash पर उपलब्ध है. इस क्रिप्टोकरेंसी के भारत में कर्ताधर्ता सुनील भम्बानी ने अंडर कवर रिपोर्टर से कहा, ‘हम डिस्ट्रीब्यूटर को बिक्री के लिए कंपनी का पैकेज उपलब्ध कराते हैं. मेरे और आपके बीच सिर्फ फर्क यही है कि मैं पहले आया और आप बाद में आए. आप के बाद जो व्यक्ति आएगा, आप उसका ध्यान रखेंगे. तो ये एक मार्केटिंग कंपनी का नेटवर्क है.’
सुनील भम्बानी ने बताया, ‘साइबर स्पेस में नेटवर्क मार्केटिंग के बारे में जुबानी चर्चा होने के साथ ही क्रिप्टोकरेंसी के इस बाजार का दायरा बढ़ता जा रहा है. अज्ञात उपभोक्ता बड़े कमीशन की चाहत में डिजिटल कॉइन्स की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं.’
भम्बानी ने कहा, ‘मैं अकेले इस नेटवर्क के जरिए ही कॉइन का मूल्य एक साल में ही 1 रुपए से 105 तक ले गया. दस महीने के अंदर ही मैंने तीन लाख लोगों का यूजर बेस बना लिया. अब हमारी मौजूदगी वॉलेट्स डाउनलोड होने की वजह से 31 देशों में है.
भम्बानी ने कहा, ‘हमने 20 करोड़ कॉइन्स उतारे और 16 करोड़ अब भी बचे हैं. आप अपने कैलकुलेटर से उनके कुल मूल्य की गणना नहीं कर पाएंगे.’ भम्बानी ने तकनीक के बारे में शेखी बधारने के लहजे में कहा कि इस पर सरकार की किसी तरह की स्क्रूटनी नहीं है.
भम्बानी ने कहा, ‘मैं अब आपको इनकम टैक्स के बारे में बताता हूं. सबसे पहली बात, हमारा पूरा सॉफ्टवेयर और सब कुछ मलेशिया में स्थित है. यहां कोई डिटेल नहीं हैं. दरअसल, जहां तक सुरक्षा की बात है तो पहले आपके मोबाइल फोन पर ओटीपी आता है, जिससे कि आप हमारी साइट को खोल सकें.’
इंडिया टुडे ने अपनी जांच में ऐसी कई बातें देखीं जो निवेशकों के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है. ये संकेत देते हैं कि जल्द ही इस सारे खेल का गुब्बारा फूट सकता है. इंग्लैंड स्थित मनी ट्रेड कॉइन के वरिष्ठ अधिकारी दिगंबर ने मुंबई में अपने ऑफिस में अंडर कवर रिपोर्टर से कहा, ‘आप कैश उपलब्ध करा रहे हैं तो आपका अकाउंट अभी ही बना दिया जाएगा. अपनी डिटेल्स दीजिए. KYC की चिंता मत कीजिए, मैं आपसे KYC नहीं मांग रहा.’अंडर कवर रिपोर्टर खुद को क्रिप्टोकरेंसी में पैसा लगाने की इच्छा जताने वाला काल्पनिक निवेशक बता कर दिगंबर से मिला था.
दिगंबर ने तत्काल अंडर कवर रिपोर्टर से छह महीने में ही निवेश का 12 गुना रिटर्न मिलने का वादा किया लेकिन साथ ही ये शर्त बताई कि निवेश को कम से कम आधे साल के लिए ब्लॉक करना होगा.
दिगंबर ने कहा, ‘मान लो आप सिर्फ 100 कॉइन्स में निवेश कर रहे हैं. छह महीने के बाद आपके कॉइन्स 190 में बदल जाएंगे. आफके ना सिर्फ 90 कॉइन बढ़ जाएंगे बल्कि साथ ही हर कॉइन की कीमत भी मौजूदा 160 डॉलर से बढ़ कर 1000 डॉलर हो जाएगी.’
दिगंबर यही कहना चाह रहा था कि कंपनी के 100 कॉइन में निवेश किया जाए तो एक ही दिन में 1000 डॉलर यानी 60,000 रुपए की कमाई की जा सकती है. दिगंबर के दावे यहीं नहीं रुके. दिगंबर ने विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों के लिए कैरेबियाई नागरिकता के साथ ही लीगल टेंडर में पैसे मुहैया कराने का वादा भी किया.
दिगंबर ने कहा, ‘हम वैध करेंसी (लीगल टेंडर) को MTC के ऐसे भारतीय ग्राहकों को डिलिवर करने की योजना बना रहे हैं जिन्होंने एंटीगुआ और बरबुडा ऑफलाइन निवेश कर रखा है. ये निश्चित है. हम आपको 30 वैध करेंसी की पेशकश कर रहे हैं. आप इससे वहां (बरबुडा और एंटीगुआ) में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए एम्युजमेंट पार्क या होटल प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं. वहां बहुत सारी गतिविधियां हो रही हैं.’
इंडिया टुडे ने फिर ‘प्रिज्म कॉइन’के इंडिया हेड हरेश गजेरा का रुख किया. गजेरा ने दावा किया कि कंपनी का विदेशी क्रिप्टोकरेंसी प्रॉडक्ट सितंबर में एक अज्ञात द्वीप देश में लीगल टेंडर बन जाएगा.
दिगंबर ने कहा, ‘एक देश है जहां अभी कोई करेंसी नहीं है. ये छोटे द्वीप की तरह है. यहां अभी डॉलर, पाउंड और यूरो का इस्तेमाल होता है. ऐसे में सितंबर तक ये (प्रिज्म कॉइन) वहां लीगल टेंडर बन जाएगा.’दिंगबर ने एक साल से भी कम समय में करेंसी का मूल्य पांच गुणा बढ़ने का अनुमान जताते हुए शेखी भी बघारी.
एक ऐसा सिस्टम जिस पर कोई रेग्युलेशन नहीं है, उसमें डिजिटल गोल्ड का निवेशकों को सब्जबाग दिखाकर जालसाज मोटी रकम खसोट रहे हैं.
इनकम टैक्स का एक सर्वे दिखाता है कि 17 महीने के अंतराल में भारत में 3.5 अरब डॉलर की क्रिप्टोकरेंसी का लेनदेन हुआ. जियोर्जिया स्थित डेल्टिन कॉइन्स के कंट्री हेड कैलाश जाधव की ओर से भारतीय निवेशकों को ऐसे वादे करते देखा गया जो सोचने में ही नामुमकिन लगते हैं.
पुणे के लोनावाला में अंडर कवर रिपोर्टर से जाधव ने कहा, अगर आप दस लाख रुपए के बिटकॉइन्स खरीदते हैं तो ये 50 लाख या एक करोड़ रुपए में तब्दील हो जाएंगे. लेकिन अगर आप डॉलर में दस लाख कॉइन में निवेश करते हैं तो ये रकम 300 गुणा बढ़ जाएगी.
इंडिया टुडे की जांच में ऐसे लोग भी बेनकाब हुए जिन्होंने वोटरों को घूस देने तक के लिए क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल का मंसूबा बनाया हुआ है. पुणे स्थित एक वेंचर का भ्रष्ट चुनावी गतिविधियों में डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल का इरादा दिखा. SKOIN नाम डिजिटल करेंसी से जुड़े संतोष खंडागले ने कबूल किया कि उसकी योजना राजनेताओं से मिलकर चुनाव में घूस देने के लिए अपनी करेंसी का इस्तेमाल कराने की है.
खंडागले ने कहा, ‘वोटरो को चुनाव से एक दिन पहले नकदी के जरिए घूस दी जाती है. वो ही वक्त होता है जब नेता पैसा बांटने को लेकर बहुत तनाव में होते हैं. मैं उस तनाव को कम करने जा रहा हूं. पैसे को सीधा वोटरों के वॉलेट (SKOIN app) में डाल दिया जाएगा.’