Advertisement

Exposed: फर्जी प्रदर्शन, वसूली के दम पर चलता मुंबई का गुंडा'राज'

MNS के उग्र धरना-प्रदर्शन, जो अक्सर बोलने की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के हनन तक पहुंच जाते हैं, क्या वाकई देशप्रेम से जुड़े होते हैं? लेकिन आजतक/इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) ने तह तक जाकर जो सच निकाला है वो हैरान कर देने वाला है.

सियासी गुंडागर्दी पर आज तक का बड़ा खुलासा सियासी गुंडागर्दी पर आज तक का बड़ा खुलासा
खुशदीप सहगल/जमशेद खान/सुशांत पाठक
  • मुंबई,
  • 27 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 10:42 AM IST

मुंबई में फिल्म निर्माताओं, कलाकारों, उत्तर भारतीय टैक्सी ड्राइवरों, रेहड़ी वालों और रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों से आए युवकों में दबंगई से दहशत पैदा करना. ये किसका हथकंडा है? राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के झगड़ालू कार्यकर्ताओं की ओर से देश की कारोबारी राजधानी मुंबई को बंधक बनाने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. कभी राष्ट्रीयता के नाम पर तो कभी महाराष्ट्र की अस्मिता के नाम पर. ये सब उसी मुंबई में हो रहा है जिसे बॉलिवुड की चकाचौंध दुनिया की वजह से मायानगरी भी कहा जाता है.

Advertisement

करन जौहर की फिल्म को लेकर दी थी धमकी
हाल में निर्माता-निर्देशक करन जौहर की फिल्म 'ए दिल है मुश्किल' को लेकर MNS ने कैसे खुली धमकियां दीं, ये पूरी दुनिया ने देखा. पाकिस्तानी एक्टर फवाद खान के फिल्म में होने की वजह से MNS ने एलान किया कि 'ए दिल है मुश्किल' को रिलीज नहीं होने दिया जाएगा. MNS ने इस मुद्दे पर फिर आश्चर्यजनक ढंग से अपने कदम वापस भी खींच लिए.

क्या ये प्रदर्शन देश प्रेम से जुड़े होते हैं?
देश सोचने को मजबूर हुआ कि MNS के उग्र धरना-प्रदर्शन, जो अक्सर बोलने की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के हनन तक पहुंच जाते हैं, क्या वाकई देशप्रेम से जुड़े होते हैं? लेकिन आजतक/इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) ने तह तक जाकर जो सच निकाला है वो हैरान कर देने वाला है. ऐसा नहीं है कि कि MNS के सारे ही प्रदर्शन इसकी विचारधारा से प्रेरित होते हैं.

Advertisement

-विरोध प्रदर्शन का बाजार-
आजतक/इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने मुंबई के कोने कोने में जाकर देखा कि MNS की आड़ में किस तरह कुछ ठग पैसा लेकर प्रदर्शन करने के लिए तैयार दिखे.

संभावित वसूली रैकेट का पता लगाया
खोजी रिपोर्टर्स ने राज ठाकरे की राजनीतिक पार्टी में ही चल रहे संभावित वसूली रैकेट का पता लगाया. कुछ MNS नेता पैसे लेकर मुंबई में 'गुंडा स्क्वॉड' के जरिए जब चाहे प्रदर्शन कराने को राजी दिखे.

25 लाख रुपए कीमत मांगी
अंडर कवर रिपोर्टर जब खुद को लॉबिस्ट बता कर MNS के कुर्ला वार्ड अध्यक्ष मोहम्मद अतहर शाह से मिले तो उसने प्रदर्शन में माहिर अपने सूरमा सड़क पर उतारने के लिए 25 लाख रुपए कीमत मांगी. ये कीमत अतहर शाह ने तब बताई जब उनसे पूछा गया था कि क्या वो हिंसक प्रदर्शन करा सकते हैं?

आधी कीमत में काम कराने का दावा
मुंबई में BMC चुनाव सिर पर हैं. इस चुनाव में उम्मीदवारी के लिए खुद को प्रबल दावेदार बताने वाले अतहर शाह ने कहा, "अगर आप किसी और के पास जाएंगे तो वो 50 लाख रुपए चार्ज करेगा. हम ये सब 25 लाख रुपए में ही कर देंगे."

कहा- चुनाव प्रचार में लगेगा पैसा
अतहर शाह के मुताबिक हिंसक प्रदर्शन के लिए जो रकम मिलेगी, वो फरवरी में होने वाले BMC चुनाव के उनके प्रचार अभियान में मदद करेगी.

Advertisement

आर्थिक वजहों से उत्पात
अतहर शाह ने कबूल किया कि उसके जैसे MNS नेता राष्ट्रीय और मराठी मुद्दों के नाम पर गलियों में जो उत्पात मचाते हैं वो विशुद्ध आर्थिक वजहों से होता है.

राष्ट्रीयता कतई उद्देश्य नहीं
अंडरकवर रिपोर्टर ने अतहर शाह को ताकीद किया, "ये ध्यान में रखना कि हमारे संगठन का राष्ट्रीयता जैसा कतई उद्देश्य नहीं है." ये भी साफ किया गया कि निहित स्वार्थ रखने वाले इस तरह के प्रदर्शन कराना चाहते हैं.

ट्रैफिक जाम से लेकर हिंसा तक
इस पर अतहर शाह का जवाब था- "मैं पूरी तरह समझता हूं कि ये बिजनेस है. वो इससे (प्रदर्शन) से फायदा उठाएंगे तो मुझे भी होगा." फिर अतहर ने ये भी बताया कि उनके तरकश में प्रदर्शन के कौन-कौन से तीर मौजूद हैं. इसमें उन्होंने ट्रैफिक जाम से लेकर गलियों में फैलाई जाने वाली हिंसा तक को गिनाया.

हिंसक हमले, गुंडागर्दी, ट्रैफिक जाम, पथराव
अतहर शाह का सवाल था- "आप बताइए, आपके संगठन को क्या चाहिए? हिंसक हमले, गुंडागर्दी, ट्रैफिक जाम, पथराव?"

और भी नेता दिखे तैयार
ऐसा नहीं कि प्रायोजित प्रदर्शन कराने के लिए MNS में अकेले अतहर शाह ही तैयार मिले. आजतक/इंडिया टुडे की टीम ने जांच के दूसरे चरण में मलाड-मलवानी वार्ड के MNS उपाध्यक्ष दीपक चव्हाण से संपर्क साधा. इनसे बाल-मजदूरी के मुद्दे पर प्रदर्शन कराए जाने की बात की गई. बिना कोई देर किए चव्हाण प्रदर्शन कराने के लिए तैयार दिखे.

Advertisement

चव्हाण ने कहा, 'ये सब हो जाएगा."

अंडरकवर रिपोर्टर ने पूछा- "प्रदर्शन में आप कितने लोग जुटा सकते हैं?"

चव्हाण का जवाब था- "50...100"

अंडर कवर रिपोर्टर- "कितने भी हों, 50,100,200,150...लेकिन ये आपको सुनिश्चित करना होगा कि पथराव और लाठीचार्ज (पुलिस) हो. सब कुछ मीडिया पर आ सके."

चव्हाण ने साफ किया कि ये सब हो जाएगा लेकिन इसकी कीमत होगी. चव्हाण ने कहा, "मैं नहीं कह रहा कि मैं ये मुफ्त में करूंगा. मैंने ऐसा नहीं कहा. लड़के और उनके लोग संतुष्ट होने चाहिए. जो लोग मेरे साथ हैं वो नाराज नहीं होने चाहिए. उन्हें साफ तौर पर दिखना चाहिए कि उन्हें क्या मिलने जा रहा है?"

-वसूली का गिरोह-
चव्हाण ने बाल मजूदरी पर प्रदर्शन अपने लिए आए-दिन की बात बताया. लेकिन चव्हाण ने आगे जो कहा वो अंडर कवर रिपोर्टरों को भी झटका देने वाला था. चव्हाण ने कहा कि उसके पास वसूली का बड़ा प्लान है.

चव्हाण- "मेरे पास निकालने के लिए कुछ और बड़ा है अगर आप इसमें हिस्सेदारी करना चाहें."

रिपोर्टर - "बड़ा क्या?"

मलाड-मलवानी से MNS नेता ने फिर बताया कि वो एक रियल एस्टेट के दिग्गज को ब्लैक मेल करने का प्लान बना रहा है. चव्हाण के मुताबिक इस कारोबारी ने मुंबई में जनजातियों की जमीन पर रिहाईशी अपार्टमेंट्स खड़े किए हैं. अंडर कवर रिपोर्टर्स ने जिस काल्पनिक NGO का नाम लेकर खुद को नुमाइंदा बताया था, चव्हाण ने उस NGO को उसके ब्लैक-मेल के प्लॉट में साथ देने की पेशकश की.

Advertisement

चव्हाण ने कहा, "वे (जनजातियां) कमजोर हैं. उनकी कोर्ट तक पहुंच नहीं है. उनके पास सभी वैध दस्तावेज होने के बावजूद वो कहीं नहीं जा सकते."

चव्हाण का मंसूबा उस जैसे राजनेता और एक NGO का गठजोड़ कर पहले फर्जी प्रदर्शन करना और फिर बिल्डर से मोटी रकम वसूलना था..

चव्हाण ने अंडर कवर रिपोर्टर से कहा- "हमें इस काम में दो से चार करोड़ रुपए मिलेंगे."

अंडर कवर रिपोर्टर- "इसका मतलब आपका इरादा बिल्डर पर दबाव बनाने का है जिससे वो हमारे साथ बात करने के लिए मजबूर हो सके." चव्हाण ने इसका जवाब 'हां' में दिया.

-किस तरह चलता है गोरखधंधा-

स्पेशल टीम ने तहकीकात के दौरान ये पता लगाना चाहा कि लोकतांत्रिक प्रदर्शन जो महात्मा गांधी की विरासत है, उसे शाह और चव्हाण जैसे MNS नेता किस तरह धमकियों और ठगी के कारनामों से दूसरा ही रंग देने पर तुले हैं.

जांच से सामने आया कि इस तरह की उत्पाती हरकतों को बढ़ावा देने के लिए आंशिक तौर पर सरकारी तंत्र भी जिम्मेदार है.

अतहर शाह ने विस्तार से बताया कि किस तरह उसकी पार्टी के दबंग तौर-तरीकों को जमीन पर उतारने के लिए पुलिस का इस्तेमाल किया जाता है.

अतहर शाह ने अंडर कवर रिपोर्टरों से वादा किया कि जिनके हाथ में कानून का अमल कराने की जिम्मेदारी है वो इसे हल्के तौर पर लेंगे. अतहर शाह के मुताबिक जब उसके आदमी मुंबई में अफरा-तफरी फैलाने के लिए उतरेंगे तो सब सोची गई स्क्रिप्ट के आधार पर होगा.

Advertisement

शाह ने कहा, "पक्के तौर पर अफरातफरी होगी. मैं पुलिस पोस्ट को मैनेज कर लूंगा. मैं सब कुछ देख लूंगा."

रिपोर्टर- "तो आप पुलिस चौकी और पुलिस स्टेशन, दोनों को मैनेज कर लेंगे."

शाह- "मैं सब मैनेज कर लूंगा. वहां कोई फायरिंग नहीं होगी. हम इसे मैनेज करेंगे. वो (पुलिस) हमें बताएंगे कि उनकी और हमारी हद कहां तक हैं. यही है सब."

शाह ने जो कुछ कहा, उससे ये हैरान करने वाला सवाल जरुर उठता है कि क्या मुंबई में गैर कानूनी विरोध प्रदर्शनों को लेकर पुलिस इसी लिए आंखें मूंदे रखती है.

-ब्रेनवॉशिंग-
शाह ने बताया कि MNS गुटों में अगर किसी काडर के खिलाफ कोई दिखावे का पुलिस केस दर्ज होता है तो उसे सम्मान का तमगा माना जाता है. शाह ने शेखी बधारते हुए कहा, "अगर किसी के खिलाफ कोई केस नहीं है तो वो MNS कार्यकर्ता नहीं है."

माहिम से नाता रखने वाले MNS नेता आरिफ शमीम शेख ने आपराधिक केसों को राज ठाकरे के संगठन की विशिष्ट पहचान बताया. शेख ने कहा, "पुलिस केस होते रहते हैं. अगर केस नहीं हैं तो MNS में होने के कोई मायने नहीं. आपकी फिर पहचान कैसे होगी. ये ट्रेडमार्क की तरह है."

शेख ने हिंसा को MNS का मुख्य दर्शन बताया. शेख ने कहा- "राज (ठाकरे) साहब कहते हैं अगर शब्दों से काम नहीं बने तो मुठ्ठी भींचो और वार करो."

Advertisement

सिस्टम के तहत होता है सब
शेख के मुताबिक MNS कार्यकर्ता अपने टारगेट पर निशाना साधने से पहले अपना होमवर्क अच्छी तरह कर लेते हैं. विरोधी की ताकत क्या है, कानूनी पचड़ों पर क्या खर्च आएगा, इन मुद्दों पर पहले ही सोच लिया जाता है.

शेख ने कहा, "सब एक सिस्टम के तहत होता है. हमें देखना होता है कि दूसरा पक्ष कितना मजबूत है. कहां प्रदर्शन किए जाने हैं. हमें कितने आदमियों की जरूरत होगी. साथ ही वकीलों का खर्चा क्या होगा."

आजतक/इंडिया टुडे की विशेष जांच टीम ने जिन MNS नेताओं से बात की उनमें से एक भी ऐसा नहीं मिला जो हिंसक प्रदर्शन कराने को तैयार नहीं मिला. ये उसी सार्वजनिक प्रदर्शन का बदरंग पहलू है, जिसे लोकतंत्र में अधिकारों के उल्लंघन पर जनता के हाथ में विरोध के लिए सशक्त साधन माना जाता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement