
महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित इलाकों में वाटर टैंकरों की अवैध बिक्री को लेकर आज तक के स्टिंग 'ऑपरेशन वाटरगेट' का असर दिखना शुरू हो गया है. इस मामले में जहां बीड पंचायत समिति के दो कर्मचारी सस्पेंड कर दिए गए हैं वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
फडनवीस ने कहा कि पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं. सीएम ने कहा कि दोषी बख्शे नहीं जाएंगे. साथ ही सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि इस तरह की गतिविधियों पर पूरी निगरानी रखी जाए.
जांच शुरू, होगी कार्रवाई: महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री
इस बीच, महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री गिरिश महाजन ने कहा है कि मामले की जांच शुरू हो चुकी है और जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. आज तक के स्टिंग ऑपरेशन पर उन्होंने कहा कि मैंने कल शो देखी थी. जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. मराठवाड़ा के इलाके में जहां के बांध सूखे पड़े हुए हैं और मात्र 2 फीसदी पानी है वहां इस तरह की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
जानिए क्या है पूरा स्टिंग
आजतक ने 'ऑपरेशन वाटरगेट' में महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित इलाकों में टैंकरों के अवैध कारोबार को लेकर खुलासा किया था. महाराष्ट्र का मराठवाड़ा इलाका भयंकर सूखे से जूझ रहा है. कुएं, नदी, तालाब पानी का तकरीबन हर स्रोत सूख चुका है. लोगों की प्यास बुझाने के लिए सरकार हर रोज 800 टैंकर पानी बीड भेजती है. लेकिन क्या वो पानी जरूरतमंद लोगों तक पहुंच रहा है? इसकी पड़ताल करने के लिए आजतक की स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव टीम पहुंच गई बीड़. हमने वहां का जो सच देखा, उससे आपकी आंखें भी फटी रह जाएंगी.
बीड़ जिले में पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी जिस नगर पालिका परिषद के सभापति गुरखडे के कंधों पर थी, वो हमारी खुफिया टीम के सामने था. हमारी टीम ने उसे बताया था कि हम लोग यहां एक इंडस्ट्री लगाना चाहते हैं, जिसके लिए हमें हर रोज दो से तीन टैंकर पानी की जरूरत पड़ेगी. पैसे के एवज में अपना ईमान बेच देने पर आमादा ये सभापति फौरन इसके लिए तैयार हो गया.
स्टिंग के बाद तुरंत हरकत में आया प्रशासन
ऑपरेशन वाटर गेट ने तुरंत अपना असर दिखाया और जिला प्रशासन ने पंचायत अधिकारी के सहायक लक्ष्मीकांत और अनुलेखक गयासुद्दीन जुबेरी को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड कर दिया. जिला कलेक्टर ने जिला प्रशासन के सीईओ को तलब किया है और विभागीय जांच के आदेश दे दिया है.
सभापति- टैंकर का भी मैं बोला...टैंकर आपको सीजन में...अभी आपको थोड़ा टाइट मिलेगा...2000 रुपये का मिलेगा एक ट्रिप.
रिपोर्टर- एक टैंकर 2000 रुपये का.
सभापति- 12 हजार लीटर का.
रिपोर्टर- कितने का पड़ेगा.
सभापति- 2000 रुपये का.
रिपोर्टर- 2000 रुपये का...मिल जायेगा.
सभापति- मिल जायेगा...पहुंच...जहां डालना है वहां डाल देगा.
ये हाल महाराष्ट्र के उस बीड़ इलाके का है, जहां लातूर के बाद सबसे ज्यादा सूखे का संकट है. जहां तकरीबन 800 पानी के टैंकर हर रोज सप्लाई किये जा रहे हैं. ये टैंकर रवाना तो होते हैं, प्यासों के दर के लिए, लेकिन पानी के सौदागर रास्ते में ही उनकी प्यास का सौदा कर लेते हैं.
सभापति की बातों से हम हैरान थे. पहली ही मुलाकात में उन्होंने बगैर हिचक के 2000 रुपये प्रति टैंकर की दर से तीन टैंकर पानी देने का डील कर लिया. वो भी तब तक जब तक कि हमें जरूरत होगी.
सभापति- मिल जाए जाएगा...जहां डालना है वहां डाल देगा.
रिपोर्टर- और पानी पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए.
सभापति- आपको...कोई दिक्कत नहीं आयेगी...आपको सिर्फ पानी से मतलब है...आपको हम वहां लाकर पानी डालेगा.
गोपाल गुरखडे ने हमें ये भी भरोसा दिलाया कि उनके रहते इलाके में हमारे साथ कोई किसी तरह की दादागीरी नहीं कर पाएगा. .
सभापति- आपको बोर लेना हो बोर लो...कुछ भी लाइट का प्रॉब्लम...कुछ भी प्रॉब्लम...तुम्हारा नहीं प्रॉब्लम...हमारा रहेगा वो...हमारे इलाके में आए न आप...पुलिस स्टेशन सब हमीं देखेंगे.
रिपोर्टर- अच्छा.
सभापति- पुलिस स्टेशन, दादागीरी....जो भी चाहिए आपको...परमिशन दिलाने तक हमारा काम चलेगा यहां.
रिपोर्टर- अच्छा.
सभापति- आप बोले भाई आ जाओ हमारे को इधर जाना है...कलेक्टर को मिलना है...इधर के उससे मिलना है...हम आपको मिला देंगे.
थोड़े से पैसों के लिए बीड़ के प्यासे लोगों के पानी का सौदा करने के साथ-साथ सभापति महोदय हमारी हर अड़चन दूर करने के लिए तैयार थे. लेकिन, अब इस गोरखधंधे की और गहराई तक जाना चाहते थे, लिहाजा हमने उन लोगों की नब्ज टटोलने का फैसला लिया, जिनके ऊपर गांवों में पानी सप्लाई की जिम्मेदारी थी.
हम पंचायत अधिकारी के सहायक लक्ष्मीकांत और अनुलेखक गयासुद्दीन जुबेरी के पास पहुंचे. हमने भी इन दोनों को वही कहानी सुनाई जो नगर पालिका परिषद के सभापति गोपाल गुरखडे को सुना चुके थे. हैरानी देखिए. ये दोनों भी हमसे पानी का सौदा करने हमारे होटल पहुंच गए.
रिपोर्टर- तो उसमें भाई साहब क्योंकि फिर लगातार फ्लो में कंस्ट्रक्शन चलेगा हमारा...उसमें डेली हमें 2-3 टैंकर पानी चाहिए.
जुबेरी- 12 हजार लीटर के.
रिपोर्टर- 12 हजार लीटर के.
लक्ष्मीकांत- 12*3=36 हजार लीटर.
जुबेरी- थोड़ा कम ज्यादा हो.
रिपोर्टर- नहीं नहीं थोड़ा कम ज्यादा भी होगा तो...ये थोड़े ही है कि 1-1 लीटर नाप के लेना है.
जुबेरी- ज्यादा देंगे कम तो नहीं देंगे.
रिपोर्टर- ठीक है...आप के ही भरोसे हैं फिर...सबसे ज्यादा समस्या पानी की है...कंस्ट्रक्शन.
हालांकि, पानी का सौदा करने के साथ-साथ लक्ष्मीकांत और जुबेरी ने जोखिम का हवाला भी दिया, लेकिन उन्होंने खुद ही इससे निपटने की तरकीब भी बता दी.
बातों-बातों में दो हजार रुपये प्रति टैंकर के हिसाब से रोजाना 12000 लीटर वाले दो टैंकर देने का सौदा हो चुका था. ईमानदारी से पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी भी दोनों ने ले ली और इसके लिए पेशगी के तौर पर लक्ष्मीकांत ने हमसे दो हजार रुपये एडवांस भी ले लिया.
रिपोर्टर- ये 2 हजार रुपये रखिए अभी हमारी तरफ से बात पक्की.
लक्ष्मीकांत- दाहिने हाथ से.
रिपोर्टर- सॉरी-सारी.
पानी के इन सौदागरों को बेईमानी के धंधे के शगुन की चिंता थी. लक्ष्मीकांत ने बाएं हाथ से पैसे लेने से मना कर दिया ताकि शगुन खराब ना हो जाए. लेकिन पानी के इन सौदागरों ने उन प्यासे लोगों की चिंता नहीं की, जिनके पीने के पानी का सौदा इन्होंने चंद पैसों के लिए हमसे कर लिया था.