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ममता के खिलाफ मोदी सरकार के एक्शन पर विपक्ष की बैठक आज

शारदा चिट फंड मामले में सीबीआई और पश्चिम बंगाल पुलिस के बीच मचा घमासान अब ममता सरकार बनाम मोदी सरकार हो गया है. सीबीआई के इस कदम को संघीय ढांचे पर हमला बताकर विपक्षी दल एकजुट हो गए हैं और इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने की कवायद में जुट गए हैं.

पश्चिम बंगाल के सियासी घमासान पर विपक्षी नेताओं की बैठक पश्चिम बंगाल के सियासी घमासान पर विपक्षी नेताओं की बैठक
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 7:39 AM IST

शारदा चिट फंड घोटाला मामले में सीबीआई की कार्रवाई ने विपक्ष को एक बार फिर एकजुट कर दिया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीबीआई के इस एक्शन को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए धरने पर बैठी हैं. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और डीएमके सांसद कनीमोझी उनसे मिलने कोलकाता पहुंचे. तो वहीं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी विपक्ष के बड़े नेताओं ने बैठक की.

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विपक्षी नेताओं की इस बैठक में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मौजूद रहे. इसकी जानकारी देते हुए शरद पवार ने बताया कि विपक्ष ने इस बैठक में तीन मुद्दों पर चर्चा की. जिसमें कृषि संकट, बेरोजगारी और संस्थाओं पर हमले पर बात हुई. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में जो हुआ, विपक्ष इस मुद्दे पर मंगलवार को चर्चा करेगा और आगे की रणनीति तय होगी.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि पश्चिम बंगाल में जो हुआ उसकी हम सभी ने निंदा की है. अब मंगलवार को हम एक बार फिर बैठेंगे और इस मुद्दे पर सामूहिक निर्णय लेंगे. यह पूछे जाने पर कि इस बैठक में कांग्रेस क्यों नहीं शामिल हुई नायडू ने कहा कि उन्होंने खुद इस बारे में शरद पवार से पूछा था. उन्होंने बताया कि यह शिष्टाचार भेंट थी और इस बैठक के बारे में किसी को बताया नहीं गया था. मंगलवार को होने वाली बैठक में कांग्रेस नेतृत्व शामिल होगा.

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गौरतलब है कि सीबीआई के एक्शन के खिलाफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रिएक्शन ने तमाम विपक्षी दलों को एकजुट कर दिया है. रविवार को देर शाम हुई घटना के बाद तमाम नेता-राहुल गांधी, चंद्रबाबू नायडू, शरद पवार, तेजस्वी यादव, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव यहां तक कि तटस्थ रहने वाले बीजेडी सुप्रीमो और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी आपसी मतभेद भुलाकर इसकी निंदा की थी.

बता दें इनमें से अधिकतर वो दल हैं जो पहले कांग्रेस के विरोधी रह चुके हैं. खुद ममता बनर्जी और शरद पवार ने कांग्रेस अलग होकर अपना राजनीतिक वजूद बनाया. लेकिन आज ये सभी दल एकजुट होकर आगामी लोकसभा चुनाव में केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ हुकांर भर रहे हैं. याद कीजिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान क्षेत्रीय दलों को अपने पीछे यह कह कर इकट्ठा किया था 'दिल्ली सल्तनत' उन्हें हमेशा असम्मानित करती रही है.

अब ममता बनर्जी पीएम मोदी की इसी रणनीति का इस्तेमाल उन्हीं पर कर रही हैं और केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी विरोधी राज्य सरकारों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए विपक्ष को एकजुट कर रही हैं. बहरहाल सीबीआई के इस एक्शन ने एक तरफ जहां विपक्ष को एकजुट कर दिया है. तो वहीं फेडरल फ्रंट की कवायद कर रहे तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव इस मामले में अलग-थलग पड़ते नजर आ रहे हैं.

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