
राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने को लेकर विपक्ष की होने वाली बैठक में हिस्सा लेने के लिए सपा नेता अखिलेश यादव दिल्ली पहुंच रहे हैं. विपक्ष की बैठक से पहले अखिलेश यादव पार्टी नेता और अपने चाचा रामगोपाल यादव और नरेश अग्रवाल से मिलकर पार्टी की रणनीति पर चर्चा करेंगे.
हालांकि अखिलेश यादव और पार्टी नेताओं के बीच सपा संरक्षक मुलायम सिंह को लेकर ऊहापोह की स्थिति है. समाजवादी पार्टी के चुनिंदा सांसदों में मुलायम सिंह भी एक हैं. ऐसे में अखिलेश यादव की मुलायम से एक बार टकराहट होने की आशंका है.
मुलायम सिंह यादव ने अभी तक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और समर्थन को लेकर खुलकर कोई बात नहीं कही है. ऐसे में देखना है कि क्या अखिलेश और मुलायम दोनों विपक्ष के उम्मीदवार के साथ जाते हैं या यहां भी दोनों की राय जुदा रहती है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष भी हैं. मुलायम सिंह की भूमिका पार्टी में अब संरक्षक की है. हालांकि वो आजमगढ़ से समाजवादी के सांसद भी हैं.
'विपक्ष की एकता टूट गई है, कहना गलत होगा'
इसी बीच सपा नेता और राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल ने आजतक के साथ बातचीत में कहा कि रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश के हैं. यह एक मुद्दा जरूर है, लेकिन राजनीतिक फैसले अपनी जगह होते हैं.
उन्होंने रामनाथ कोविंद अच्छे व्यक्ति हैं लेकिन हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बैठक के लिए आ रहे हैं और वह इस बारे में फैसला लेंगे.
अग्रवाल ने इस बात को खारिज किया कि विपक्ष की एकता टूट गई है. उन्होंने कहा कि ऐसा कहना ठीक नहीं होगा. हर पार्टी की अपनी परिस्थिति और अपना फैसला होता है, लेकिन राष्ट्रपति का चुनाव है और इसे पूरे संसद से जोड़कर नहीं देखना चाहिए.
सपा नेता ने कहा कि अगर एनडीए ने अपना नाम पहले बता दिया होता तो सर्वसम्मति की कोशिश हो सकती थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.