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उमर अब्दुल्ला बोले- विपक्षी एकता मिथक, 2019 में फिर आएगी BJP

कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने वर्ष 2019 के आम चुनावों में भाजपा की सत्ता में वापसी करने का संकेत देते हुए यह कहा है कि विपक्षी एकता का मिथक महज कोरी कल्पना है.

कश्मीर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्बदुल्लाह कश्मीर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्बदुल्लाह
BHASHA
  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 5:44 PM IST

कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने वर्ष 2019 के आम चुनावों में भाजपा की सत्ता में वापसी करने का संकेत देते हुए यह कहा है कि विपक्षी एकता का मिथक महज कोरी कल्पना है. उमर ने ट्विटर पर लिखा विपक्षी एकता के मिथक ने बाकायदा यही दिखाया है कि यह सिर्फ एक कोरी कल्पना है. वर्ष वर्ष 2019 में इसमें से प्रत्येक खुद के लिये एक होंगे और भाजपा को पांच साल का और मौका मिलेगा किसी दूसरे के लिए नहीं. 

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नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता तथा जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के लिए हो रही मतगणना के दौरान उत्तर प्रदेश के रुझान देखकर कहा है, कि देशभर में कोई ऐसा नेता नहीं है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला कर सके और कोई ऐसी पार्टी नहीं है, जो 2019 में बीजेपी को चुनौती दे सके. 

नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष गुजरात राज्यसभा  चुनावों में हो रहे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें कांग्रेस उम्मीदवार एवं पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के विश्वासपात्र अहमद पटेल ऊपरी सदन में पांचवे कार्यकाल के लिये चुनाव लड़ रहे हैं. उमर ने कहा मुझे याद नहीं कि पिछली बार के राज्यसभा चुनाव की घटना इतनी ध्यान आकर्षति करने वाली कब थी. इस बार का चुनाव वाकई में दिलचस्प है. 

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उमर ने उम्मीद जतायी कि कांग्रेस में ऐसे लोग हैं जो जयराम रमेश सरीखे लोगों के विचारों पर ध्यान देंगे. जयराम रमेश ने स्वीकारा था कि पार्टी संकट में है. उमर ने कहा मुझे उम्मीद है कि बेहद पुरानी पार्टी कांग्रेस जागेगी और जयराम जो कह रहे हैं उस पर गौर करेगी. उनके विचारों को खारिज करना अदूरदर्शिता होगा.

उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा लगभग सभी विशेषज्ञों-विश्लेषकों ने उत्तर प्रदेश में इस लहर को कैसे छोड़ दिया? यह सुनामी है ना कि एक छोटे-से तालाब में उठी लहर... उन्होंने कहा पंजाब, गोवा और मणिपुर से निश्चित तौर पर यह संकेत मिलेगा कि बीजेपी अपराजेय नहीं बल्कि आलोचना से सकारात्मक विकल्प की ओर रणनीति बदलने की ज़रूरत है... मैंने पहले भी कहा है और फिर कहूंगा कि मतदाताओं को एक वैकल्पिक एजेंडा देने की ज़रूरत है, जो इस पर आधारित हो कि हम बेहतर करेंगे.

 

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