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मुलायम के घर में कलह से विपक्षी क्यूं हुए दुखी

सपा मुखि‍या मुलायम सिंह यादव के कुनबे में मची कलह का फायदा विपक्षी दलों को होगा, यह सही नहीं है. हकीकत तो यह है कि इस कलह ने विपक्षी दलों को दुखी कर दिया है.

अख‍िलेश यादव के समर्थक अख‍िलेश यादव के समर्थक

सपा मुखि‍या मुलायम सिंह यादव के कुनबे में मची कलह का फायदा विपक्षी दलों को होगा, यह सही नहीं है. हकीकत तो यह है कि इस कलह ने विपक्षी दलों को दुखी कर दिया है. देश के सबसे बड़े सियासी परिवार की लड़ाई के शोर में विपक्षी दलों के नेताओं की वो सभी बातें दब गईं जो वो जनता को सुनाना चाहते थे.

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यूपी में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं. तमाम सियासी दल चुनावी अखाड़े में उतरने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं. ऐसे में सूबे में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के भीतर पिछले दिनों जब घमासान मचा तो लगा कि पार्टी बिखर जाएगी, सरकार गिर जाएगी. सियासी पंडित न जाने क्या-क्या अटकलें लगाने लगे. उत्तर प्रदेश में मौजूदा सरकार का यादवों और मुसलमानों के बीच अच्छा जनाधार है. 9 फीसदी यादव और 18 फीसदी मुस्लिम वोट यूपी में मुलायम सिंह यादव की ताकत है. अगर पार्टी टूटती है या सरकार समय से पहले गिर जाती है तो इन वोटरों का छिटकना स्वाभाविक है.

समाजवादी परिवार में झगड़े से मुसलमान वोटर छिटककर कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी की तरफ शि‍फ्ट हो सकता है. इससे पूर्व सीएम मायावती की पार्टी और 27 साल से सूबे में सत्ता से दूर कांग्रेस को फायदा होगा. दूसरी तरफ, यादव वोट का बड़ा हिस्सा बीजेपी की ओर जा सकता है. अखिलेश यादव ने अमर सिंह को दलाल कहा है, ऐसे में ठाकुर लॉबी भी बीजेपी के पक्ष में आ सकती है. चूंकि कांग्रेस और बसपा पहले से कमजोर हैं, ऐसे में इस उठापटक का फायदा बीजेपी उठा सकती है.

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दब गई पीएम मोदी की आवाज

लेकिन मुलायम कुनबे के शोर में पीएम नरेंद्र मोदी की आवाज लगभग दब सी गई. यूपी के सियासी गलियारे में ऐसा कोहराम मचा था कि पीएम मोदी की एक दिन में दो-दो सभाओं का मीडिया में नाममात्र कवरेज हो पाया. यूपी के सियासी दंगल का पार्ट-1 बीता को उरी अटैक और सर्जिकल स्ट्राइक जैसी घटनाएं सुर्ख‍ियों में आ गईं. इन घटनाओं को मीडिया में खूब जगह मिली. इनसे जुड़े अपडेट और पीएम मोदी या केंद्र सरकार की बातें हर दिन टीवी चैनलों पर बहस का मुद्दा बनीं. अखबारों की सुर्खियां बनीं.

इस बीच मुलायम कुनबे में दंगल का पार्ट-2 शुरू हो गया. इसके शुरू होते ही सर्जिकल स्ट्राइक पर मचा शोर शांत हो गया. बीते सोमवार को पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश के महोबा में परिवर्तन रैली को संबोधित किया. पीएम ने यूपी में मचे घमासान पर चुटकी तो ली ही, मोदी ट्र‍िपल तलाक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर पहली बार बोले. सोमवार को ही पीएम मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी गए. पीएम ने बनारस में कई योजनाओं का शिलान्यास किया. भाषण भी दिया लेकिन लखनऊ में मचा शोर मोदी के संबोधन पर भारी पड़ गया.

प्रियंका-राहुल को भी नहीं मिली जगह

इसी बीच, खबर आई कि प्रियंका गांधी ने यूपी में कांग्रेस का चुनाव प्रचार करने पर सहमति जता दी है. सोमवार को ही प्रियंका यूपी चुनाव के लिए बने कांग्रेस के वॉर रूम में गईं. पार्टी नेताओं के साथ बातचीत की और तैयारियों का जायजा लिया. यूपी के सियासी सेहत के लिहाज से यह बड़ी घटना थी लेकिन मीडिया में उतनी जगह नहीं मिल पाई.

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इससे पहले सियासी दंगल के पार्ट-1 के दौरान राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में किसान यात्रा पर निकले थे. उस वक्त राहुल की सभाओं को मीडिया में उतनी कवरेज नहीं मिल पाई, जितनी मिलनी चाहिए थी. सपा कुनबे में कलह के दौरान दूसरी पार्टी के नेता इस मुद्दे पर बोलने से परहेज करते रहे.

हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद अब जब शिवपाल की कैबिनेट में वापसी और अखिलेश के हाथ से सीएम की कुर्सी जाना नामुमकिन लगने लगा तो विपक्षी दलों को अहसास हुआ कि मुलायम सिंह यादव के कुनबे में मची कलह से समाजवादी पार्टी का कुछ नुकसान तो हुआ नहीं, इसका असर दूसरी पार्टियों पर जरूर पड़ा. बीजेपी अब कह रही है कि यूपी में अखि‍लेश सरकार की नाकामिकों पर पर्दा डालने के लिए समाजवादी पार्टी ने जानबूझकर यह 'फैमिली ड्रामा' रचा.

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