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गडकरी बोले- सिरदर्द बन गए हैं पद्म अवॉर्ड, आशा पारेख 12 मंजिल चढ़कर पद्मभूषण मांगने आई थीं

गडकरी ने दावा किया कि आशा पारेख ने उनसे कहा था कि 'मुझे पद्मश्री मिला है, जबकि भारतीय सिनेमा में मेरे योगदान के लिए मुझे पद्मभूषण मिलना चाहिए था.' गडकरी ने कहा कि पुरस्कारों की वजह से अब सिरदर्द होने लगा है.

विकास वशिष्ठ
  • नागपुर,
  • 03 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 11:19 AM IST

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पद्म पुरस्कारों को लेकर विवादास्पद बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि पद्म पुरस्कारों के लिए लोग पीछे पड़ जाते हैं. उन्होंने मशहूर अभिनेत्री आशा पारेख के बारे में भी ऐसा बयान दिया है, जिससे पुरस्कारों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते हैं और विवाद बढ़ सकता है.

गडकरी ने कहा कि आशा पारेख पद्मभूषण पाने की उम्मीद में मुंबई में मेरे घर पहुंच गई थी. लिफ्ट खराब थी, फिर भी वह 12 मंजिलें चढ़कर आ गई थीं. बड़ा खराब लगा था. गडकरी ने दावा किया कि आशा पारेख ने उनसे कहा था कि 'मुझे पद्मश्री मिला है, जबकि भारतीय सिनेमा में मेरे योगदान के लिए मुझे पद्मभूषण मिलना चाहिए था.'

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आशा पारेख ने बयान को कहा बकवास
आशा पारेख ने इस बयान को बकवास बताया और कहा कि वे इस पर बात नहीं करना चाहतीं. दरअसल, गडकरी शनिवार शाम नागपुर में थे. यहां वह सेवा सदन संस्था की ओर से दिए जानेवाले रमाबाई रानाडे पुरस्कार वितरण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आए थे. यहीं पुरस्कारों को लेकर मराठी में उन्होंने जो भाषण दिया, उसमें यह विवादास्पद दावा किया. उन्होंने कहा कि पुरस्कारों की वजह से अब सिरदर्द होने लगा है.

आशा पारेख को 1992 में मिला था पद्मश्री
गुजरे जमाने की मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री आशा पारेख को 1992 में पद्मश्री मिला था. उनका नाम हिंदी सिनेमा की सफलतम अभिनेत्रियों की फेहरिस्त में शामिल है. पारेख ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत बतौर बाल कलाकार 1952 में फिल्म 'आसमान' से की थी. बाद में उन्होंने ‘कटी पतंग’, ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’, ‘दो बदन’, ‘प्यार का मौसम’, ‘बहारों के सपने’ जैसी सुपरहिट फिल्में दीं. 2002 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी मिला था.

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