
नए दस्तावेजों से साबित हुआ है कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की चेतावनी के बावजूद पाकिस्तान आतंकी समूहों का समर्थन कर रहा है. अक्टूबर 2020 में FATF पाकिस्तान के कदमों की समीक्षा कर रहा है.
इससे पहले इस बात के पुख्ता सबूत सामने आ रहे हैं कि पाकिस्तान लगातार आतंकवाद को समर्थन दे रहा है और आतंकी गतिविधियों के लिए आर्थिक मदद मुहैया करा रहा है.
यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का हेड है सलाहुद्दीन
सुरक्षा एजेंसियों द्वारा हासिल एक दस्तावेज से पता चलता है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI भारत में आतंक फैलाने के लिए हिज्बुल मुजाहिद्दीन का इस्तेमाल कर रही है. इस आतंकी गिरोह का सरगना यूसुफ शाह है जो सैयद सलाहुद्दीन के नाम से भी जाना जाता है. सलाहुद्दीन यूनाइटेड जिहाद काउंसिल (UJC) का हेड भी है. ये संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी नेटवर्क का सामूहिक गिरोह है और पाकिस्तान के निर्देश पर काम करता है.
6 मई 2020 को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों सैयद शकील यूसुफ और सैयद शहीद यूसुफ को गिरफ्तार किया है, जबकि उसके दो गुर्गों रियाज नायकू और आदिल अहमद को मार गिराया गया है. इसके बाद सलाहुद्दीन बौखलाया हुआ है और भारत पर चोट करने की फिराक में है.
आतंकी सैयद सलाहुद्दीन भारत में आतंकी गतिविधियों को अजाम देने के लिए JKART (Jammu and Kashmir Affectees Relief Trust) नाम का संगठन बना रखा है.
इस संगठन का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को भेजने और उन्हें आर्थिक मदद मुहैया कराने में किया जाता है. इसका मुख्यालय रावलपिंडी में है और इसकी शाखाएं इस्लामाबाद, मुजफ्फराबाद और दूसरे शहरों में हैं.
भारत के हाथ लगी सीक्रेट चिट्ठी
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के हाथ में एक पत्र लगा है. इसमें साफ साफ लिखा है कि आतंकी सैयद सलाहुद्दीन खुफिया महानिदेशालय (Directorate of Intelligence) का अधिकारी है और वह ISI के लिए काम कर रहा है.
सलाहुद्दीन की सिक्योरिटी जांच 'क्लियर' है
पत्र में यह भी कहा गया है कि उसकी सारी सिक्योरिटी जांच 'क्लियर' है और उसे अनावश्यक रूप से जगह जगह न रोका जाए. ये पत्र 31 दिसंबर 2020 तक वैध है. इस पत्र में उसके द्वारा इस्तेमाल की जा रही कार का भी जिक्र है.
अक्टूबर में FATF की बैठक
इस साल जब अक्टूबर में FATF की बैठक होगी तो पाकिस्तान को बेनकाब करने में ये चिट्ठी अहम साबित हो सकती है.
फरवरी 2020 में FATF ने पाकिस्तान को चार महीने दिए थे और आतंकियों को मुहैया कराई जा रही वित्तीय मदद पर गंभीर एक्शन लेने को कहा था. तब FATF ने कहा था कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए 27 बिंदुओं पर काम करना होगा, लेकिन इसने मात्र 14 बिंदुओं पर काम किया है. अब अक्टूबर में एक बार FATF एक बार फिर से पाकिस्तान पर नकेल कस सकता है.