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दिल्ली में चल रही है SCO कॉन्फ्रेंस, कल पाकिस्तान हो सकता है शामिल

भारत-पाकिस्तान में तनाव के बीच पाकिस्तान दिल्ली में चल रही शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की पहली सैन्य सहयोग बैठक में पहले दिन शामिल नहीं हुआ. सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान दूसरे दिन इस बैठक में शामिल हो सकता है.

इमरान खान (फाइल फोटो) इमरान खान (फाइल फोटो)
गीता मोहन
  • नई दिल्ली,
  • 12 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:34 PM IST

  • एससीओ के सम्मेलन में शामिल नहीं हुआ पाकिस्तान
  • दूसरे दिन शामिल होने की संभावना- सूत्र

भारत-पाकिस्तान में तनाव के बीच भारत द्वारा दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की मिलिट्री मेडिसिन सम्मेलन में पाकिस्तान पहले दिन शामिल नहीं हुआ. सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान दूसरे दिन इस बैठक में शामिल हो सकता है.

जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान को इस सम्मेलन के लिए बहुत देर से निमंत्रण भेजा गया था, इसीलिए यहां पाकिस्तान की तरफ से किसी की मौजूदगी नहीं दिखी. सम्मेलन में 27 अंतरराष्ट्रीय और 40 भारतीय प्रतिनिधि शामिल हुए.

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सम्मेलन में उद्घाटन सत्र को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संबोधित किया. इसमें पाकिस्तान के लिए आवंटित सीट खाली थी. शंघाई सहयोग संगठन का पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद से भारत की मेजबानी में यह पहला सैन्य सहयोग कार्यक्रम हुआ है. भारत और पाकिस्तान जून 2017 में एससीओ के सदस्य बने थे.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान कहा कि मौजूदा समय में वास्तविक खतरा जैव आतंकवाद है. उन्होंने एससीओ देशों के सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं (एएफएमएस) से आग्रह किया कि युद्ध क्षेत्र में सैनिकों के लिए उत्पन्न होने वाली नई चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने के रास्ते तलाशें.

राजनाथ सिंह ने कहा कि क्षेत्रीय समूह एशिया-प्रशांत में बढ़ते प्रभाव के कारण 'पूर्व का गठबंधन' है. उन्होंने कहा कि एससीओ, क्षेत्र में सुरक्षा का प्राथमिक स्तम्भ है. सिंह ने जैव आतंकवाद को 'संक्रामक रोग' बताया और इस खतरे से निपटने के लिए ताकत बढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया.

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सिंह ने कहा, 'इस खतरे से निपटने के लिए सशस्त्र बलों और इसकी चिकित्सा सेवाओं को आगे रहना होगा.' सिंह ने कहा कि युद्ध की नयी और गैर परंपरागत चुनौतियों ने वर्तमान चुनौतियों की जटिलता को बढ़ा दिया है. उन्होंने कहा, 'इन चुनौतियों का पता लगाने, मानवीय सहिष्णुता को परिभाषित करने में सशस्त्र बलों की चिकित्सा सेवाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं और इस तरह के वातावरण का स्वास्थ्य पर पड़ने वाले विपरीत असर को कम करने की रणनीति सुझा सकती हैं.'

उन्होंने कहा, 'परमाणु, रसायन और जैविक युद्ध का खतरा स्थिति को और विकराल बनाएगा. सशस्त्र बलों के चिकित्साकर्मी इन खतरनाक चुनौतियों से निपटने के लिए संभवत: अद्भुत तरीके से सक्षम हैं.' एससीओ के सदस्य चीन, भारत, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान हैं.

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