
पाकिस्तान बीते कुछ वर्षों के दौरान लिए गए कर्ज के लिए सुर्खियों में है. इस कर्ज का बड़ा हिस्सा हाल में चीन से लिया गया है. अर्थजगत में जानकार कई दिनों से दावा कर रहे हैं कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ग्रीस की उस स्थिति में पहुंच रही है जहां अपने कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए सरकारी खजाने में पैसे नहीं हैं. लिहाजा,पाकिस्तान के पास अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिफॉल्टर बनने से बचने के लिए सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा फंड (आईएमएफ) से मदद लेने का विकल्प बचा है.
पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान बीते कुछ वर्षों से पाकिस्तान की नवाज शरीफ सरकार द्वारा चीन से किए गए चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी-CPEC) की शर्तों का विरोध कर रहे हैं. इमरान खान ने प्रधानमंत्री बनने से पहले दावा किया था कि चीन की कंपनियों ने पाकिस्तानी कंपनियों से ऐसे आर्थिक करार किए हैं जिसका खामियाजा पाकिस्तान को लंबे अंतराल में भुगतना पड़ेगा.
कंगाल पाकिस्तान, विदेशी कर्ज का बढ़ता बोझ, कैसे अर्थव्यवस्था को उबारेंगे इमरान खान?
बीते हफ्ते आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टीना लेगार्ड ने इस बात की पुष्टि की कि नवंबर में आईएमएफ की टीम बेलआउट की शर्तों पर वार्ता के लिए पाकिस्तान पहुंचेंगी. इस पुष्टि से पाकिस्तान समेत दुनिया को साफ हुआ की पाकिस्तान वाकई आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. जल्द उसे बचाने की कवायद नहीं की गई तो उसकी भी हालत ग्रीस जैसी हो जाएगी जहां कर्ज का ब्याज और सरकार का खर्च चलाने के लिए उसे कर्ज लेने की मजबूरी बन जाएगी.
इसके अलावा एक बात साफ है कि चीन और पाकिस्तान के बीच हुए वन बेल्ट वन रोड परियोजना (प्राचीन सिल्क रूट) का सीपीईसी चैप्टर खतरे में है. इंडिया टुडे के संपादक अंशुमान तिवारी ने बताया कि...
इतिहास में पहली बार पाकिस्तान इतनी बड़ी रकम का बेलआउट पैकेज आईएमएफ से मांग रहा है. यह अब प्रधानमंत्री बन चुके इमरान खान के लिए पहली सबसे बड़ी चुनौती है. अंशुमान तिवारी ने कहा कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार बड़े संकट के दौर में है. अब जब आईएमएफ ने पाकिस्तान को ग्रीस जैसी आर्थिक मदद देने का फैसला किया है तो जाहिर है आने वाले दिनों में पाकिस्तान सरकार के कई बड़े सामाजिक कार्यक्रमों के खर्च पर रोक लगा दे.
नए पाकिस्तान को समझ आया चीन का CPEC दांव, क्या करेंगे इमरान?
गौरतलब है कि 1998 के बाद से पाकिस्तान का यह 13वां बेलआउट पैकेज है. हालांकि यह पहली बार है जब पाकिस्तान सरकार ने 12 बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद या बेलआउट पैकेज मांगा है, लेकिन यह पाकिस्तान सरकार के लिए बेहद मुश्किल आर्थिक पैकेज भी साबित होने जा रहा है.
अंशुमान तिवारी ने बताया कि आईएमएफ से इस राहत पैकेज के लिए पाकिस्तान की इमरान सरकार ने चीन के साथ सीपीईसी समझौते के तहत मिले सभी कर्ज का ब्यौरा साझा करना पर रजामंदी दी है.
सीपीईसी प्रोजेक्ट में फंडिंग पर सवाल?
पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार बनने से पहले ही आर्थिक जगत में चीन और पाकिस्तान के बीच हुई सीपीईसी समझौते पर सवाल उठते रहे हैं. जहां पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति में दावा किया जा रहा है कि इस पूरी परियोजना का सीधा फायदा सिर्फ और सिर्फ पंजाब प्रांत को मिलेगा वहीं प्रोजेक्ट के दायरे में आने वाले तीन छोटे प्रांतों को इसमें कुछ नहीं मिलेगा. इसके अलावा बलूची अलगाववादियों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट के कारण बलूच जनसंख्या बलूचिस्तान में अल्पसंख्यक बनकर रह जाएगी.
कैटेगरी
| प्रोजेक्ट सं
| प्रस्तावित लागत(मिलियन डॉलर)
| अनुमानित लागत(मिलियन डॉलर)
| नौकरियां |
1. एनर्जी | 21 | 26,370 | 33,000 | 71,959 |
2. इंफ्रा-रोड | 5 | 5,341 | 5,341 | 31,474 |
3. इंफ्रा- रेल | 3 | 8,237 | 8,237 | 14,400 |
4. इंफ्रा- ऑप्टिकल फाइबर | 1 | 44 | 44 | 1,294 |
5. ग्वादर | 12 | 793 | 10,000-14,000 | 77,700 |
योग | 42 | $ 40,784
| 58,622 | 1,96,827 |
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और पाकिस्तान के अर्थशास्त्री सवाल उठा रहे हैं कि चीन से प्रोजेक्ट के लिए मिल रहे मंहगे कर्ज और पाकिस्तान के खजाने से खर्च हो रहे पैसे के चलते एक बार फिर पाकिस्तान पर कर्ज और विदेशी मुद्रा भंडार का संकट खड़ा हो जाएगा. इस स्थिति में पाकिस्तान के पास आईएमएफ से मदद लेने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचेगा.
गौरतलब है कि रॉयटर के मुताबिक पाकिस्तान पर लगभग 28 ट्रिलियन रुपये (पाकिस्तानी करेंसी) या 215 बिलियन डॉलर का कर्ज है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के आंकड़ों के मुताबिक जून 2018 तक पाकिस्तान पर कुल कर्ज उसकी जीडीपी के 83 फीसदी के बराबर है. इस परिस्थिति में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार महज 8.3 बिलियन डॉलर पर सिमट गया है.
वहीं अमेरिका ने आईएमएफ को साफ कह दिया है कि पाकिस्तान को दिए जाने वाले बेलआउट पैकेज का इस्तेमान न तो पाकिस्तान में चल रहे सीपीईसी परियोजना के लिए किया जाना चाहिए और न ही इस पैकेज के जरिए पाकिस्तान सरकार चीन से लिए गए कर्ज का ब्याज अदा करे.