
संसद के बजट सत्र का दूसरा हिस्सा बिना कोई खास काम हुए शुक्रवार को समाप्त हो गया. संसद का 23 दिन का वक्त सत्ता पक्ष और विपक्ष की ‘तू तू-मैं मैं’ की ही भेंट चढ़ गया. 5 मार्च से शुरू हुए बजट सत्र का दूसरा हिस्सा छुट्टियों को छोड़कर 23 दिनों का था. इस दौरान संसद लगातार ठप रहने की वजह से लोकसभा में सिर्फ पांच बिल पास हो सके.
राज्यसभा में स्थिति और भी बदतर रही जहां ग्रेच्युटी बिल के अलावा कोई और बिल पास ही नहीं हो सका. संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने बताया कि बजट सत्र के दूसरे हिस्से में लोकसभा में सिर्फ 4% काम हुआ जबकि राज्यसभा में 8% काम हुआ. राज्यसभा सिर्फ रिटायर हो रहे सदस्यों की विदाई और नए सदस्यों की शपथ के दिन ही ठीक से चली. बाकी वक्त विपक्ष के शोर-शराबे और सरकार के विपक्ष के साथ सहमति न बना पाने के कारण बर्बाद हो गया. एक अनुमान के मुताबिक संसद को चलाने में प्रति मिनट ढाई लाख रूपये से ज्यादा खर्च होता है.
संसद का समय बर्बाद होने और कार्यवाही ना चलने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने एक-दूसरे के सर पर ठीकरा फोड़ने की कोशिश की. संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सरकार हर मुद्दे पर बहस को तैयार थी लेकिन कांग्रेस पार्टी के लगातार सदन के वेल में आकर हंगामा करने की वजह से कार्यवाही नहीं चल पाई. उन्होंने कहा कि सदन ना चलने की वजह से एनडीए के सांसदों ने ऐलान किया है कि वह इन 23 दिनों के लिए वेतन और भत्ता नहीं लेंगे.
वहीं लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने एनडीए सांसदों की सदन के वेतन भत्ता नहीं लेने को सिर्फ नाटक बताया. उन्होंने कहा कि कुछ हजार रुपए का वेतन भत्ता नहीं लेने का बीजेपी के नेता इतना प्रचार प्रसार कर रहे हैं लेकिन देश के लाखों करोड़ों रुपए लेकर जो लोग भाग गए उसके बारे में सरकार बताने को तैयार नहीं है.
विपक्ष और सरकार के बीच इस तनातनी के बावजूद कांग्रेस और बीजेपी, दोनों अपने मतलब की चीज संसद से पास कराने में नहीं चूके. विजय माल्या और नीरव मोदी पर मचे बवाल के बावजूद देश का पैसा लेकर बाहर भागने वाले भगोड़ों पर लगाम लगाने के लिए लाया जाने वाला ‘भगोड़ा आर्थिक अपराध बिल 2018’ तो पास नहीं हो सका लेकिन सांसदों ने अपने वेतन भत्ता बढ़ाने का इंतजाम जरूर कर लिया. दरअसल सरकार ने सांसदों के वेतन भत्ता बढ़ाने के प्रावधान को वित्त विधेयक का हिस्सा बना लिया था जिसे बिना कोई बहस कराए चुपचाप पास करा लिया गया.
इसी तरह से कांग्रेस और बीजेपी दोनों का फायदा पहुंचाने वाले फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट में बदलाव करने के लिए भी सरकार ने बजट का रास्ता चुना और यह भी वित्त विधेयक के साथ बिना बहस के पास हो गया. सरकार और कांग्रेस की इस मिलीभगत के बारे में पूछे जाने पर संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने सिर्फ इतना कहा कि इस बारे में उन्हें कांग्रेस से पूछना चाहिए क्योंकि सरकार तो हर मामले पर बहस को तैयार थी. वित्त विधेयक बिना किसी बहस के पास कराए जाने पर भी अनंत कुमार का कहना था कि इसमें कोई नई बात नहीं है क्योंकि पहले भी ऐसा हो चुका है जब वित्त विधेयक को बिना बहस के पास किया गया है.
संसद लगातार ठप रहने का नतीजा यह हुआ तीन तलाक बिल जिसको लेकर राजनीतिक माहौल काफी गर्म था वह भी ठंडे बस्ते में चला गया. इस बिल को राज्यसभा से पास होना था. लोकसभा में ‘कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल’, ‘नेशनल मेडिकल कमीशन बिल’, ‘इंटर स्टेट रिवर वाटर डिस्प्यूट बिल’ धरे के धरे रह गए तो राज्यसभा में आखिर समय तक कोशिश के बावजूद सरकार ‘प्रिवेंशन ऑफ करप्शन बिल’ भी पास नहीं करा सकी. ये सभी बिल लंबे समय से अटके हुए हैं लेकिन अब सरकार को इन जरूरी बिल को पास कराने के लिए मानसून सत्र का इंतजार करना होगा.